नोएडा, 15 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि खत्म करने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है। इस पर पूर्व राजनयिक महेश सचदेव ने कहा कि भारत इस समझौते को निरस्त करने या उसे स्थगित करने पर बहुत दिन से विचार कर रहा था।
महेश सचदेव ने कहा कि पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष ने कहा था कि कश्मीर उनकी जुगुलर वेन है। जब यह मुद्दा आगे बढ़ा तो उससे साफ जाहिर हुआ कि जुगुलर वेन कश्मीर नहीं, सिंधु और उसकी सहायक नदियां हैं, जिस पर 80 प्रतिशत तक पाकिस्तान की कृषि सिंचाई निर्भर है।
उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि साल 1960 में ‘सिंधु जल संधि’ हुई थी। उस समय की परिस्थितियां अलग थीं। कहा जाता है कि पाश्चात्य देशों और वर्ल्ड बैंक के दबाव में इस समझौते में भारत को ऐसी शर्तें माननी पड़ीं जिनका देशहित से सरोकार कम था। इस समझौते को स्थगित करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने ‘सिंधु जल संधि’ को बहाल करने के लिए अनुनय-विनय किया है।
तुर्की के बहिष्कार पर उन्होंने कहा कि तुर्की ने भारत के साथ जो व्यवहार किया है, वह उसके हित में नहीं है। पाकिस्तान को सैन्य सामग्री की आपूर्ति करना और तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देना, साफ दिखाता है कि वह भारत विरोधी है।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ तुर्की का काफी गहरा आर्थिक संबंध है। दोनों देशों के बीच आठ बिलियन डॉलर से ज्यादा का व्यापार है। तकरीबन चार हजार करोड़ की आय तुर्की को भारतीय पर्यटकों से होती है।
उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत के बावजूद तुर्की कैसे यह उम्मीद कर सकता है कि भारत के पर्यटक वहां जाएंगे, जबकि वह पाकिस्तान की हर तरह से मदद करेगा। कुछ हद तक यह रोष भारतीय जनमानस में स्वाभाविक है। तुर्की को इसे आत्मसात करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान से बात होगी तो आतंकवाद और पीओके पर ही होगी।
–आईएएनएस
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