सिडनी, 22 मार्च (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया के आध्यात्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। सिडनी में 25 एकड़ भूमि पर निर्मित भव्य बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर की मूर्ति प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि भक्ति, निस्वार्थ सेवा और गुरु की अनुपम कृपा का दिव्य उत्सव था।
इस ऐतिहासिक अवसर को पवित्र बनाने के लिए गुरु हरी महंत स्वामी महाराज, जिन्होंने 92 वर्ष की आयु में भी ऑस्ट्रेलिया यात्रा का संकल्प लिया, स्वयं इस समारोह में पधारे। उनके आगमन का समाचार मिलते ही भक्तों में आध्यात्मिक आनंद की लहर दौड़ गई। हजारों भक्तों ने व्रत रखे गए, यज्ञों का आयोजन हुआ और हजारों भक्तों ने सामूहिक रूप से संस्कृत में ‘सत्संग दीक्षा ग्रंथ’ का पाठ किया। यह श्रद्धा, एकता और गुरु की दिव्य इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण का अद्भुत दृश्य था।
महंत स्वामी महाराज की असीम कृपा से अक्षर-पुरुषोत्तम महाराज, घनश्याम महाराज, राधा-कृष्ण देव, सीता-राम, शंकर-पार्वती, हनुमानजी और गणेशजी की मूर्तियां प्रतिष्ठित की गईं। इस दैवीय क्षण को देखने हजारों भक्त एकत्रित हुए, श्रद्धा और कृतज्ञता से अभिभूत हो गए। यह केवल मूर्तियों की स्थापना नहीं थी, बल्कि यह एक आध्यात्मिक क्रांति थी। एक ऐसा ऐतिहासिक पड़ाव, जिसने ऑस्ट्रेलिया में सनातन धर्म की उपस्थिति को सुदृढ़ किया और भक्ति तथा सांस्कृतिक संरक्षण के एक नए युग का सूत्रपात किया।
बीएपीएस की सेवा केवल भव्य मंदिरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक आंदोलन है, जो नैतिक उत्थान, आध्यात्मिक जागृति और निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित है। ऑस्ट्रेलिया में बीएपीएस ने 18 भव्य मंदिरों की स्थापना की है, जो आध्यात्मिकता के साथ-साथ चरित्र निर्माण, पारिवारिक एकता और सामाजिक समरसता के केंद्र बन गए हैं। वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में 175 से अधिक साप्ताहिक सत्संग केंद्र सक्रिय हैं, जो हजारों बालकों, युवाओं और वृद्धों को धर्मपरायणता, अनुशासन और भक्ति के मार्ग पर प्रेरित कर रहे हैं। बीएपीएस केवल एक धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आंदोलन है, जो अनगिनत लोगों को सेवामय और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
भक्तों की अटूट श्रद्धा और बढ़ती आध्यात्मिक प्यास को देखते हुए, महंत स्वामी महाराज ने मेलबर्न में भव्य अक्षरधाम मंदिर की नींव रखी, ताकि आध्यात्मिकता की यह ज्योति आने वाली पीढ़ियों को भी आलोकित करती रहे। इसी तरह, सिडनी में विशाल सत्संग समाज की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को समझते हुए, एक दूरदर्शी 25-एकड़ के मंदिर परिसर की कल्पना को साकार किया गया, जो आज श्रद्धा और भक्ति का स्मारक बनकर, ऑस्ट्रेलिया और संपूर्ण विश्व में दिव्यता का प्रकाश फैला रहा है।
यह बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि शांति का आश्रय, ज्ञान का द्वार और सांस्कृतिक और नैतिक पुनर्जागरण का केंद्र है। यहां श्रद्धा कर्म बनती है, मूल्य जीवन का आधार बनते हैं और भक्ति जीवन को दिव्यता की ओर ले जाती है। इस ऐतिहासिक मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह ने बीएपीएस के वैश्विक आध्यात्मिक मिशन में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि सनातन धर्म फले-फूले, भक्ति गहरी हो, और आने वाली पीढ़ियां अपने दिव्य संस्कारों से जुड़ी रहें।
सिडनी से लेकर संपूर्ण विश्व तक, अक्षर-पुरुषोत्तम दर्शन का प्रकाश अनवरत रूप से प्रकाशित हो रहा है, जो संपूर्ण मानवता को उच्चतम उद्देश्य की ओर प्रेरित कर रहा है।
–आईएएनएस
पीएसके/सीबीटी