नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। भारत में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल जब काम या लेखन नहीं कर रहे होते हैं तो वह साइकिल चलाने में व्यस्त रहते हैं।
नई दिल्ली में तैनात होने पर उनका सबसे पहला काम एक साइकिल खरीदना और राष्ट्रीय राजधानी की खोज करना था।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, ”दो पहियों पर शहर को जानना रहस्यमय है। वहां होने वाली घटनाओं की भूलभुलैया की खोज से एक शहर कैसे काम करता है, इसका एक अनोखा दृश्य मिलता है।”
यह कहते हुए कि वह एक दिन में 40-50 किमी साइकिल चला सकते हैं, उन्होंने कहा कि यह सर्वोपरि है कि देश न केवल राजनीतिक संबंध विकसित करे बल्कि सांस्कृतिक संबंध भी विकसित करे।
उन्हाेंने कहा, ”मैं कह सकता हूं कि तुर्की और भारत सांस्कृतिक रूप से बहुत करीब हैं। लोगों से लोगों का संपर्क और एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित होना मजबूत दोस्ती में सहायक हो सकता है। दोनों देश संकट के समय में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। कोविड-19 के दौरान महामारी में तुर्की ने आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की। भारत ने अपनी ओर से तुर्की में विनाशकारी भूकंप के दौरान बचाव दल और उपकरण भेजकर हमारे संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।”
यह राजनयिक लेखक हाल ही में संपन्न केरल साहित्य महोत्सव का हिस्सा थे और वह आगामी जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान मेरु गोखले के साथ उनके उपन्यास ‘द लाइटहाउस फैमिली’ पर बातचीत करेंगे। उन्होंने ‘साल्किम सोगुटलेरिन गोल्गेसिंडे’ लिखा है, जिसने ‘ब्यूयुक’ नामक एक टीवी श्रृंखला को प्रेरित किया है। सुरगुन काफ्कास्या’, ‘द ग्रेट एक्साइल काकेशिया’, ‘इज़मिरली’, ‘इज़मिरली, माई लास्ट लव’ और ‘सर्पिनसिक फेनेरी’ उनके उपन्यासों का भारत में मलयालम, तमिल और कन्नड़ सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
वे कहते हैं, “राजनयिक बहुत कुछ लिखते हैं क्योंकि यह उनके पेशे का हिस्सा है, उन्हें कई लोगों से मिलने और बातचीत करने का भी मौका मिलता है। तरह-तरह के लोगों के साथ संपर्क से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है।”
द लाइटहाउस फ़ैमिली के बारे में बात करते हुए लेखक का कहना है कि भारतीय पाठक आसानी से पुस्तक से जुड़ जाएंगे।
सुनेल ने कहा, ”यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक परिवार की त्रासदी के बारे में है और दूर के प्रकाशस्तंभ में रहने के बावजूद युद्ध लोगों और उनके परिवारों को कैसे प्रभावित करते हैं। मेरे पास तुर्की से बहुत सारी प्रतिक्रियाएं हैं और आलोचकों ने इसे वास्तव में पसंद किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐतिहासिक कथा लिखना पसंद है और वह लेखन के लिए सुबह कम से कम तीन घंटे समर्पित करने का ध्यान रखते हैं।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एसकेपी
नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। भारत में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल जब काम या लेखन नहीं कर रहे होते हैं तो वह साइकिल चलाने में व्यस्त रहते हैं।
नई दिल्ली में तैनात होने पर उनका सबसे पहला काम एक साइकिल खरीदना और राष्ट्रीय राजधानी की खोज करना था।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, ”दो पहियों पर शहर को जानना रहस्यमय है। वहां होने वाली घटनाओं की भूलभुलैया की खोज से एक शहर कैसे काम करता है, इसका एक अनोखा दृश्य मिलता है।”
यह कहते हुए कि वह एक दिन में 40-50 किमी साइकिल चला सकते हैं, उन्होंने कहा कि यह सर्वोपरि है कि देश न केवल राजनीतिक संबंध विकसित करे बल्कि सांस्कृतिक संबंध भी विकसित करे।
उन्हाेंने कहा, ”मैं कह सकता हूं कि तुर्की और भारत सांस्कृतिक रूप से बहुत करीब हैं। लोगों से लोगों का संपर्क और एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित होना मजबूत दोस्ती में सहायक हो सकता है। दोनों देश संकट के समय में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। कोविड-19 के दौरान महामारी में तुर्की ने आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की। भारत ने अपनी ओर से तुर्की में विनाशकारी भूकंप के दौरान बचाव दल और उपकरण भेजकर हमारे संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।”
यह राजनयिक लेखक हाल ही में संपन्न केरल साहित्य महोत्सव का हिस्सा थे और वह आगामी जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान मेरु गोखले के साथ उनके उपन्यास ‘द लाइटहाउस फैमिली’ पर बातचीत करेंगे। उन्होंने ‘साल्किम सोगुटलेरिन गोल्गेसिंडे’ लिखा है, जिसने ‘ब्यूयुक’ नामक एक टीवी श्रृंखला को प्रेरित किया है। सुरगुन काफ्कास्या’, ‘द ग्रेट एक्साइल काकेशिया’, ‘इज़मिरली’, ‘इज़मिरली, माई लास्ट लव’ और ‘सर्पिनसिक फेनेरी’ उनके उपन्यासों का भारत में मलयालम, तमिल और कन्नड़ सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
वे कहते हैं, “राजनयिक बहुत कुछ लिखते हैं क्योंकि यह उनके पेशे का हिस्सा है, उन्हें कई लोगों से मिलने और बातचीत करने का भी मौका मिलता है। तरह-तरह के लोगों के साथ संपर्क से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है।”
द लाइटहाउस फ़ैमिली के बारे में बात करते हुए लेखक का कहना है कि भारतीय पाठक आसानी से पुस्तक से जुड़ जाएंगे।
सुनेल ने कहा, ”यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक परिवार की त्रासदी के बारे में है और दूर के प्रकाशस्तंभ में रहने के बावजूद युद्ध लोगों और उनके परिवारों को कैसे प्रभावित करते हैं। मेरे पास तुर्की से बहुत सारी प्रतिक्रियाएं हैं और आलोचकों ने इसे वास्तव में पसंद किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐतिहासिक कथा लिखना पसंद है और वह लेखन के लिए सुबह कम से कम तीन घंटे समर्पित करने का ध्यान रखते हैं।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एसकेपी