नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के 86वें स्थापना दिवस के मौके पर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने जवानों को शुभाकामनाएं दीं। उन्होंने देश की सुरक्षा में तत्पर रहने वाली सीआरपीएफ के समर्पण और प्रतिबद्धता को सराहा।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफार्म एक्स पर लिखा, “सीआरपीएफ स्थापना दिवस के अवसर पर, मैं हमारे बहादुर सैनिकों और उनके परिवारों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। विभिन्न क्षेत्रों में हमारे राष्ट्र की रक्षा में आपका अटूट समर्पण और प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है। आपकी सेवा हमारे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, और हम आपके बलिदान और अथक प्रयासों के लिए बहुत आभारी हैं। जय हिन्द”।
बता दें, सीआरपीएफ की स्थापना आजादी से पहले 1939 में हुई थी। तब इस बल का नाम क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस था। आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद में एक अधिनियम लाकर इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल किया गया।
तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने देश की बदलती जरूरतों पर इस बल से एक बहुआयामी भूमिका की जो कल्पना की थी, उसे साल 1959 में चीनी हमले का जोरदार जवाब देते हुए इस बल ने साकार भी किया।
आजादी के बाद देसी रियासतों को भारत सरकार के अधीन लाना भी सीआरपीएफ की जिम्मेदारी में दिया गया। जूनागढ़, हैदराबाद, कठियावाड़ और कश्मीर जैसी रियासतों को भारत में शामिल कराने में इस बल की बड़ी भूमिका। इसके साथ ही राजस्थान, कच्छ और सिंध सीमाओं में घुसपैठ की जांच में सीआरपीएफ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
आजादी के बाद कई सालों तक यह फोर्स जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सीमा पर तैनात रही।सीआरपीएफ ने 21 अक्टूबर 1959 को चीन के हमले को नाकाम करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस बलिदानियों की याद में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
इस बल ने 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को महत्पूर्ण सहायता प्रदान की। इस आक्रमण में सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 1965 और 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में भी सीआरपीएफ ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चीनी सेना का सामना किया था।
1970 के दशक में त्रिपुरा और मणिपुर में हुई शांति भंग के दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने कई सालों तक अभियान चला कर इलाके से उग्रवादियों का सफाया कर दिया।
इसके अलावा 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले को सीआरपीएफ के जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए नाकाम कर दिया था। संसद पर हुए हमले के दौरान सीआरपीएफ और आतंकवादियों के बीच 30 मिनट तक फायरिंग हुई थी। जिसमें पांच आतंकवादियो को मार गिराया गया था।
–आईएएनएस
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