पटना, 27 मई (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश के इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए सवाल उठाया कि कई हजार करोड़ रुपये खर्च कर नया संसद भवन की क्या जरूरत थी?
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा, देश में नई संसद की क्या जरूरत है? सत्ता में बैठे लोग इतिहास बदलना चाहते हैं, और वे यही कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, मैं दिल्ली गया और अन्य दलों के नेताओं से मिला। उन्होंने कहा कि एक नई संसद का निर्माण चल रहा है। यह मेरे लिए सुखद बात नहीं थी। पुरानी संसद हमारा इतिहास है। उसी में संविधान सभा की बैठक हुई थी और उसी में संविधान को लागू किया गया था। पुरानी संसद हमारे देश के गौरव का प्रतीक थी। हमने वर्षो के संघर्ष के बाद आजादी हासिल की और उसी संसद से लोकतांत्रिक तरीके से काम करने की शुरुआत हुई। यदि जरूरत महसूस हुई तो उसी भवन को विकसित किया जाना चाहिए था, अलग से एक नया भवन बनाना अर्थहीन है। आप हमारे पुराने इतिहास को बदल रहे हैं, यह ठीक नहीं है।
नीतीश कुमार ने आगे कहा, शनिवार को नीति आयोग की बैठक में जाने का कोई मतलब नहीं था। अगर मैं नीति आयोग की बैठक में जाता तो निश्चित रूप से बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग करता। हमें पता है कि वे हमारी मांग पूरी करने की इच्छा नहीं रखते हैं। यूपीए सरकार ने देश में जाति आधारित जनगणना कराई थी, लेकिन एनडीए ने 2021 में ऐसा नहीं किया। हमने अपने खर्चे पर बिहार में जाति आधारित सर्वे कराया, लेकिन उन्हें इस पर भी आपत्ति है।
पत्रकारों ने जब सीएम नीतीश कुमार से सवाल किया कि नवनिर्मित बिहार विधानमंडल के उद्घाटन के लिए राज्यपाल को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया, तब उन्होंने कहा कि वह भवन का विस्तार था, न कि नया निर्माण।
–आईएएनएस
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