भोपाल, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भाजपा के सबसे प्रभावशाली नेता और सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम मस्तल तुलनात्मक रूप से कमजोर उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन लगता है कि कमल नाथ ने इसे वैचारिक लड़ाई बनाकर एक रणनीतिक चाल चली है।
विक्रम मस्तल टीवी एक्टर से राजनेता बने हैं, इन्होंने 2008 में टीवी पर प्रदर्शित होने वाले रामायण सीरियल में हनुमान की भूमिका निभाई थी।
बुधनी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व वर्षों से चौहान कर रहे हैं। इस सीट से विक्रम मस्तल को ऑन-स्क्रीन हनुमान के रूप में मैदान में उतारकर कमलनाथ ने इसे ‘कलाकार बनाम कलाकार’ शो करार देकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है।
कांग्रेस के अनुभवी नेता कमलनाथ मार्च 2020 की घटना के ‘विश्वासघात’ के खिलाफ ‘प्रतिशोधी’ चुनावी लड़ाई के लिए राज्य में दूसरी बार पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। कमलनाथ मुख्यमंत्री चौहान पर हमला करते रहे हैं, उनका कहना है कि चौहान एक ‘कलाकार’ हैं ‘ जिसने राज्य के लोगों को धोखा दिया है।’
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ऑन-स्क्रीन हनुमान को मैदान में उतारना कमलनाथ की नरम-हिंदुत्व योजना का एक हिस्सा लगता है, जो 2020 में उनकी सरकार के गिरने के तुरंत बाद कार्रवाई में आया था।
एक वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने दावा किया कि भाजपा ने अपने पारंपरिक हिंदुत्व एजेंडे पर कमलनाथ को घेरने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह फंसने से बाहर रहे। इससे पहले कि बीजेपी कमलनाथ को हिंदुत्व विरोधी लॉबी के साथ जोड़ न सके, वह साल 2018 से खुद को भगवान हनुमान के भक्त के रूप में पेश कर रहे हैं।
विक्रम मस्तल भले ही शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा नहीं हैं, लेकिन उनके रील लाइफ किरदार का एक बड़ा कैनवास है जो पार्टी को पूरे राज्य में अपनी छाप छोड़ने में मदद करेगा।
मस्तल के खिलाफ किसी भी राजनीतिक हमले को उनके रील-लाइफ चरित्र भगवान हनुमान पर हमले के रूप में पेश किया जाएगा और यह धारणा भाजपा की हिंदुत्व विचारधारा को किनारे करने में मदद कर सकती है।
मस्तल ने आईएएनएस को बताया, ”मुझ पर भरोसा दिखाने के लिए मैं कांग्रेस का आभारी हूं। मैं स्थानीय मुद्दों को लेकर बुधनी की जनता के पास जाऊंगा। मैं लोगों से पूछूंगा कि लगभग दो दशकों तक मुख्यमंत्री चौहान का समर्थन करने के बाद उन्हें क्या हासिल हुआ। लोगों से पूछेंगे कि मुख्यमंत्री उनके जिले के होने के बावजूद सीहोर के युवाओं को नौकरी क्यों नहीं मिली।”
–आईएएनएस
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