रांची, 2 मई (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर आईपीएस अनुराग गुप्ता को रिटायरमेंट के बाद भी डीजीपी के पद पर अवैध रूप से बनाए रखने का आरोप लगाया है।
उन्होंने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को लिखे गए पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि डीजीपी अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल, 2025 को रिटायर करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी वह इस पद पर गैरकानूनी तरीके से बने हुए हैं।
शुक्रवार को झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मरांडी ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा के तहत आने वाले आईएएस-आईपीएस अधिकारियों को सेवा विस्तार देने का निर्णय केवल केंद्र सरकार कर सकती है। यह राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार का विषय ही नहीं है। अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल को 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं और नियमों के अनुसार वह स्वतः रिटायर हो चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें अवैध तरीके से राज्य पुलिस के प्रमुख के पद पर तैनात रखा है।
उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल के बाद डीजीपी के रूप में अनुराग गुप्ता की ओर से किए जाने वाले कार्य या लिए जाने वाले निर्णय पूरी तरह गैरकानूनी होंगे। केंद्र के निर्देश के अनुसार, आईपीएस अनुराग गुप्ता की सेवा अवधि दो दिन पूर्व समाप्त हो चुकी है और कानूनी तौर पर आज की तारीख में झारखंड में कोई डीजीपी नहीं है। अनुराग गुप्ता पुलिस प्रमुख के साथ-साथ एसीबी और सीआईडी के महानिदेशक थे। ये तीनों पद कानूनी तौर पर खाली हैं। ऐसी स्थिति पूरे देश में पहली बार झारखंड में उत्पन्न हुई है।
मरांडी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता के बीच ‘अंडरहैंड डिलिंग’ हुई है। अनुराग गुप्ता सीएम के कहने पर राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में चल रही ईडी जांच के गवाहों को न सिर्फ धमकाते रहे हैं, बल्कि कई गवाहों को झूठे केस में फंसाकर जेल भी भेजा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उनके पास सूचनाएं हैं कि राज्य के कोयला क्षेत्रों में सरकार और पुलिस की शह पर कोयले का अवैध खनन और चोरी धड़ल्ले से हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन अवैध धंधों से होने वाली उगाही की रकम सीधे सरकार के पास पहुंच रही है। मरांडी ने अनुराग गुप्ता को दागी आईपीएस बताते हुए कहा कि उनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप रहे हैं। उन्हें हेमंत सोरेन की सरकार ने ही 22 महीने तक निलंबित रखा था। इसके बाद अचानक से उनके प्रति हेमंत सोरेन का ‘प्यार’ समझ से परे है।
मरांडी ने केंद्र सरकार के अंडर सेक्रेटरी संजीव कुमार के हस्ताक्षर से 22 अप्रैल को झारखंड के मुख्य सचिव के नाम लिखा गया पत्र भी मीडिया में जारी किया।
इस पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने नए नियम अधिसूचित करते हुए 2 फरवरी, 2025 को 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता को दो वर्षों के लिए डीजीपी के रूप में पदस्थापित किया है। लेकिन, झारखंड सरकार की ओर से अधिसूचित नियम एवं उसके तहत की गई नियुक्ति नियमों के अनुरूप नहीं है। यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दिए गए निर्देशों के भी विपरीत है। ऐसे में अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16(1) के तहत अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल के बाद झारखंड के डीजीपी के पद पर सेवा में बनाए रखना विधि-सम्मत नहीं है।
–आईएएनएस
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