अमृतसर, 11 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका और हरमंदर साहिब में प्रार्थना करने को सौभाग्य बताया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा, “दिव्य हरमंदर साहिब में प्रार्थना करने का सपना सच में पूरा हुआ। राष्ट्र और मानवता की सेवा में यहां प्रार्थना और पूजा करने का सौभाग्य मिला।”
इस दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हरमंदर साहिब में प्रार्थना करने का सौभाग्य उनके लिए आशीर्वाद है।
सीजेआई ने कहा, “मैं प्रार्थना करता हूं कि हमारा देश और पूरी मानवता खुश व समृद्ध हो। मैं 1975 में एक छात्र के रूप में अपने पिता के साथ आखिरी बार स्वर्ण मंदिर का दौरा किया था।”
स्वर्ण मंदिर की देख रेख करने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सीजेआई का स्वागत किया और उन्हें हरमंदर साहिब का एक मॉडल, एक सिरोपा (सम्मान की पोशाक) और ऐतिहासिक पुस्तकों का एक सेट भेंट किया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सिखों के खिलाफ किए जा रहे ‘घृणास्पद प्रचार’ को रोकने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपा।
हरजिंदर धामी ने कहा, “सिखों ने भारत के लिए बहुत बड़ी कुर्बानियां दी हैं, लेकिन कुछ शरारती लोग जानबूझकर सिख सिद्धांतों, इतिहास और पहचान के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घृणित टिप्पणियां कर रहे हैं।”
उन्होंने सीजेआई से भारतीय न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च पद पर रहते हुए इस गंभीर मुद्दे पर सख्त संज्ञान लेने का अनुरोध किया।
इससे पहले शनिवार को सीजेआई चंद्रचूड़ ने चंडीगढ़ में पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में दीक्षांत भाषण दिया। यहां उन्होंने युवा डॉक्टरों को सलाह दी कि सहानुभूति और नैतिकता उनके पेशेवर सफर की आधारशिला होनी चाहिए।
पीजीआईएमईआर के 37वें दीक्षांत समारोह में 80 डॉक्टरों को उनकी अकादमिक उत्कृष्टता के लिए पदक से सम्मानित किया गया, जबकि 508 स्नातकों ने विभिन्न चिकित्सा विषयों में डिग्री प्राप्त की।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा, “सहानुभूति और नैतिकता केवल अमूर्त अवधारणाएं नहीं हैं, वे आपकी चिकित्सा यात्रा का आधार हैं।”
उन्होंने कहा, “जब आप स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के रूप में दुनिया में कदम रखते हैं, तो याद रखें कि आपके तकनीकी कौशल केवल समीकरण का एक हिस्सा हैं। यह आपकी करुणा, सुनने की आपकी क्षमता और नैतिक प्रथाओं के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता है, जो वास्तव में आपकी सफलता को परिभाषित करेगी और आपके मरीजों के जीवन पर प्रभाव डालेगी।”
–आईएएनएस
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