जबलपुर. सीबीआई जांच के आधार पर साल 2024-25 के लिए मान्यता समाप्त किये जाने तथा काउंसलिंग में शामिल नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सीबीआई की पहली जांच में उनके उनके कॉलेज पात्र पाये गये थे. सीबीआई की दूसरी जांच में उनके कॉलेज में कमियां पाई गई थी.
हाईकोर्ट के जस्टिस एस धर्माधिकारी तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता कॉलेजों को आंशिक राहत प्रदान करते हुए अपने आदेश में कहा है कि दूर की गयी कमियों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी के समक्ष 8 दिसम्बर को उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें.
मंदसौर स्थित पशुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग सहित 27 अन्य नर्सिंग कॉलेजों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सीबीआई के द्वारा की गयी प्रथम जांच में वह पात्र पाये गये थे. सीबीआई के द्वारा की गयी दूसरी जांच में उनके कॉलेजों एमपी नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम 2018 के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं पाया गया. सीबीआई के द्वारा 27 नवम्बर 2024 को पेष की गयी रिपोर्ट के अनुसार उनके कॉलेज में कुछ कमियां पाई गई,उन्हें दूर किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता नर्सिंग कॉलेजों की तरफ से कहा गया था है कि वर्ष 2024-25 के लिए उनकी मान्यता को समाप्त करते हुए काउंसलिंग से बाहर कर दिया गया है. दूर की गयी कमियों की जांच करने हाईकोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने कुछ नर्सिंग कॉलेजों पत्र जारी कर 7 व 8 दिसम्बर को पक्ष प्रस्तुत करने आदेश जारी किये है.
सरकार की तरफ से विरोध करते हुए कहा गया कि काउंसलिंग 15 जनवरी तक पूर्व होनी है. याचिकाकर्ता नर्सिंग कॉलेजों ने राहत के लिए देर से याचिका दायर की है,जो खारिज करने योग्य है.
युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता नर्सिंग कॉलेज दूर की गयी कर्मियों के संबंध में समिति के समक्ष 8 दिसम्बर के समक्ष उपस्थित होकर पक्ष प्रस्तुत करेंगे. समिति उनका पक्ष सुनने के बाद मान्यता व काउंसिलिंग में शामिल किये जाने के संबंध में निर्णय लेगी.