नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक अभूतपूर्व और प्रेरणादायक घटना सामने आई है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 22 लाख रुपए की रिश्वत देते वक्त दो व्यक्तियों को रंगे हाथों पकड़ लिया। इस मामले में सबसे खास बात यह रही कि रिश्वत देने वालों को पकड़ा गया, यानी यह एक ‘रिवर्स ट्रैप’ ऑपरेशन था।
इस पूरे प्रकरण में जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय के अधीक्षक ने सबसे सराहनीय भूमिका निभाई, जिन्होंने रिश्वत का प्रस्ताव मिलते ही उसे स्वीकार करने के बजाय सीबीआई को इसकी सूचना दी।
सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए दो व्यक्तियों की पहचान राम सेवक सिंह और सचिन कुमार गुप्ता के रूप में हुई है।
ये दोनों आरोपी उस समय सीबीआई के जाल में फंसे, जब वे एक ऑनलाइन कंपनी के टैक्स चोरी के मामले में राहत दिलाने के लिए संबंधित जीएसटी अधीक्षक को 22 लाख रुपए की रिश्वत की पेशकश कर रहे थे।
जीएसटी अधीक्षक कुछ ऑनलाइन फर्मों की टैक्स चोरी की जांच कर रहे थे। इसी दौरान आरोपियों ने उनसे संपर्क कर मामले को ‘रफा-दफा’ करने के लिए मोटी रकम देने का प्रस्ताव रखा।
हालांकि, वे भ्रष्टाचार के आगे नहीं झुके। उन्होंने तुरंत सीबीआई को औपचारिक शिकायत दी और इसके बाद सीबीआई ने एक सुनियोजित ‘रिवर्स ट्रैप’ ऑपरेशन चलाया, जिसमें दोनों आरोपी रंगे हाथों पकड़ लिए गए।
गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने आरोपियों से जुड़े कई ठिकानों पर तलाशी अभियान शुरू किया है। इन तलाशियों से रिश्वतखोरी से जुड़े सबूत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
सीबीआई ने प्रेस रिलीज में कहा कि यह ऑपरेशन दिखाता है कि कैसे एक ईमानदार सार्वजनिक अधिकारी की तत्परता और निष्ठा भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकती है। ऐसे अफसर आज की व्यवस्था के लिए प्रेरणा हैं।
सीबीआई ने देशवासियों से अपील की है कि भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी बिना डर के साझा करें। एजेंसी हर सच्चे नागरिक के साथ खड़ी है।
–आईएएनएस
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