नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। आबकारी मामले में शनिवार को सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई पर रविवार को डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए सीबीआई ने कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर मेरे कार्यालय से कंप्यूटर जब्त किया। इस मामले में सीबीआई-ईडी की जांच अगस्त 2022 से चल रही है, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है और सीबीआई की चार्जशीट में मेरा नाम आरोपी के रूप में नहीं है।
सिसोदिया ने कहा कि मुझे आशंका है कि सीबीआई ने गोपनीय फाइलों व दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए सीपीयू को जब्त किया है और उसमें एडिट कर मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी।
सीबीआई की छापेमारी पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है कि यह महीने का दूसरा शनिवार था। इसलिए मेरा कार्यालय बंद था। सीबीआई के किसी अधिकारी ने टेलीफोन पर मेरे पर्सनल सेक्रेटरी (पीएस) को कार्यालय आकर उसे खोलने के लिए कहा। दोपहर करीब 3 बजे जब मेरे पर्सनल सेक्रेटरी ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मेरे ऑफिस में सीबीआई के अधिकारियों की एक टीम पहले से ही मौजूद थी।
सीबीआई के अधिकारियों ने पर्सनल सेक्रेटरी को कार्यालय खोलने और कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाने को कहा। जैसे ही वे कॉन्फ्रेंस रूम में पहुंचे, उन्होंने वहां एक कंप्यूटर लगा देखा। उन्होंने मेरे सेक्रेटरी को कंप्यूटर चालू करने के लिए कहा, उसका आकलन किया और सीआरपीसी की धारा 91 के तहत एक नोटिस सचिव को सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि नोटिस के अनुसार, सचिव से अनुरोध किया गया था कि वह मेरे में कॉन्फ्रेंस रूम में लगे कंप्यूटर सिस्टम का सीपीयू दें। इसके बाद निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ही मेरे कार्यालय के कॉन्फ्रेंस रूम से सीपीयू को जब्त कर लिया गया। नोटिस को देखकर यह पता चल रहा है कि सचिव को नोटिस हाथ से लिखा कर दिया गया और तुरंत ही संपत्ति (सीपीयू) को जब्त कर लिया गया, जो अधिकारियों की के दुर्भावना को दर्शाता है।
सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों की यह कार्य उनके द्वेष को दर्शाता है कि कैसे नोटिस दिया गया और तुरंत उस संपत्ति को जब्त कर लिया गया और वो भी साइबर अपराध अध्याय एक्सवीआई, सीबीआई (अपराध) मैनुअल 2020 में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बगैर किया, जबकि सीबीआई मैनुअल के अनुसार यह हैश वैल्यू होनी चाहिए, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक फिंगरप्रिंट जरूरी है। एक फाइल के अंदर डेटा को क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम के जरिए जाना जाता है, इसे हैश-वैल्यू कहते हैं। यह डेटा वेरिएबल्स की एक स्ट्रिंग है।
हैश वैल्यू दरअसल एक चाबी है, जिससे यह पता लगता है कि जिस डेटा पर सवाल किया जा रहा है उसकी मान्यता और प्रामाणिकता का पता लगाया जा सकता है। चूंकि जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, डिजिटल डिवाइस की प्रमाणिकता को स्थापित करना इस केस के लिए बहुत अहम है। इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जब्त करते समय जांच अधिकारी द्वारा डेटा रिकॉर्ड का हैश वैल्यू लिया गया है।
–आईएएनएस
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