नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। मैत्रीपूर्ण सीमा-पार डेटा प्रवाह के दम पर भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया में डेटा सेंटर क्षमता अगले पांच साल में 10-25 प्रतिशत औसत वार्षिक दर (सीएजीआर) से बढ़ने की संभावना है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की इकाई 451 रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, डेटा सेंटरों में निवेश करने से टेलीकॉम और रियल एस्टेट कंपनियों जैसे प्रदाताओं को अपने राजस्व और संपत्ति में विविधता लाने में आसानी होगी।
इसमें कहा गया है, “हालांकि, व्यवसाय की पूंजी सघनता को देखते हुए जोखिम भी हैं। स्थानीय भागीदारी और विवेकपूर्ण विस्तार उभरते बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होगा, जिसमें उभरते विनियमन, स्थिर इंटरकनेक्टिविटी की उपलब्धता और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे की उपलब्धता शामिल है।”
भारत और इंडोनेशिया ने अपनी डेटा सुरक्षा नीतियों को स्पष्ट कर दिया है और सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंधों में ढील दी है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेश का समर्थन करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए नीतियों के साथ तालमेल बिठाना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में नए डेटा गोपनीयता बिल का मसौदा सीमा पार डेटा हस्तांतरण को आसान बनाने का सुझाव देता है।”
यहां विशेषज्ञों के अनुसार, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 आसान सीमा पार डेटा ट्रांसफर को सक्षम करेगा और भंडारण के बुनियादी ढांचे को अनुकूलित करेगा।
विधेयक डिफ़ॉल्ट रूप से सभी न्यायक्षेत्रों में डेटा प्रवाह की अनुमति देता है, जब तक कि निषिद्ध न हो।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके विपरीत, सिंगापुर मामूली गति से बढ़ेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह भूमि और बिजली आपूर्ति पर बाधाओं के साथ एक अधिक स्थापित बाजार है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “डेटा केंद्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में एक उभरता हुआ परिसंपत्ति वर्ग बनाते हैं। महामारी के कारण तेजी से डिजिटल परिवर्तन के कारण उपभोक्ताओं और उद्यमों के बीच डेटा प्रोसेसिंग और डेटा भंडारण क्षमता की मांग बढ़ रही है।”
बड़े इंटरनेट सेवा प्रदाता, क्लाउड और नेटवर्क सेवा प्रदाता और मल्टीमीडिया कंपनियां जैसे तथाकथित हाइपरस्केलर भी अपने व्यवसाय का विस्तार करने और नेटवर्क की सुस्ती को कम करने के लिए उच्च डेटा मांग बढ़ा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “डेटा सेंटर में निवेश के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता है और आय उत्पन्न करने में समय लगता है। इससे प्रदाताओं की बैलेंस शीट पर दबाव पड़ सकता है। डेटा सेंटर प्रदाताओं को उच्च निष्पादन जोखिमों का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वे क्षेत्र में कम परिपक्व बाजारों में विस्तार करते हैं।”
–आईएएनएस
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