नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को वैध ठहराए जाने के तुरंत बाद सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण से पता चलता है कि अधिकांश उत्तरदाताओं ने फैसले का स्वागत किया है।
कुल मिलाकर, प्रत्येक 10 उत्तरदाताओं में से सात ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हैं। आश्चर्य की बात नहीं है, जहां एनडीए समर्थकों में से चार-पांचवें फैसले से सहमत हैं, वहीं विपक्ष के 61 प्रतिशत समर्थक इस विचार से सहमत हैं।
अन्य मुद्दों पर भी मतभेद देखा जा रहा है। जहां तीन-चौथाई एनडीए समर्थकों को लगता है कि मौजूदा शासन जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार कर रहा है, वहीं आधे से भी कम विपक्षी समर्थक भी यही विचार रखते हैं।
देश के ज्यादातर लोगों ने कुल मिलाकर निरस्तीकरण और फैसले का समर्थन किया है, कश्मीर घाटी में रहने वाले लोग असहमत हैं। उदाहरण के लिए, कश्मीर घाटी में रहने वाले लगभग 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। इसी तरह, घाटी में लगभग 52 प्रतिशत लोगों का कहना है कि मौजूदा शासन उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है।
इसके अलावा, लगभग दो-तिहाई अन्य राज्यों के ज्यादातर लोगों ने जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और बसने के विचार का विरोध करते हैं, जबकि शेष भारत में 77 प्रतिशत से अधिक लोग इसके विपरीत सोचते हैं।
1952 से, अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 जम्मू और कश्मीर में लागू थे, जिससे राज्य को एक विशिष्ट और विशेष पहचान के साथ-साथ यह चुनने की वास्तविक शक्तियाँ मिलीं कि भारतीय संसद द्वारा पारित कौन से कानून राज्य में लागू किए जाएंगे।
5 अगस्त, 2019 को, लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश जीतने के तुरंत बाद, वर्तमान शासन ने संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला एक विधेयक पारित किया।
फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसने उन्हें एक साथ जोड़ दिया।
सोमवार को पांच जजों की बेंच ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।
–आईएएनएस
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