नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। एबीपी न्यूज पर प्रसारित एक्सक्लुजिव सी-वोटर एग्जिट पोल में दिखाया गया था कि कांग्रेस कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत के काफी करीब है। इसमें यह भी कहा गया था कि जिन सीटों पर कांटे की टक्कर है और हार-जीत का अंतर तीन प्रतिशत के आसपास रहता है, वहां यदि कांग्रेस जीत दर्ज करती है वह बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी।
हालांकि एग्जिट पोल के उन्हीं प्रतिभागियों से जब 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिल्कुल अलग तरीके से वोटिंग की मंशा दिखाई। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46 प्रतिशत मत मिलता दिख रहा है जो विधानसभा की तुलना में आठ प्रतिशत अधिक है।
साथ ही, लोकसभा में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के आंकड़ों से सात फीसदी कम यानी 35 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। जद (एस) का वोट शेयर 12 फीसदी रहने का अनुमान है, जो हालिया विधानसभा चुनावों से तीन फीसदी कम है।
वोट शेयर में बड़ी बढ़त का मतलब है कि भाजपा को कर्नाटक में कुल 28 लोकसभा सीटों में से 20-22 सीटें मिलने का अनुमान है। वह 2019 के चुनावों की तुलना में कम है जब उसने 26 सीटें जीती थीं। विश्लेषकों का मानना है कि यह 2024 के चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
कई वर्षों से यह देखा गया है कि राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के दौरान मतदाताओं की प्राथमिकताएं और वोटिंग पैटर्न अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के लगभग 58 प्रतिशत प्रतिभागियों ने 2019 के लोकसभा ओपिनियन और एग्जिट पोल के दौरान कहा था कि वे भाजपा को वोट देंगे। प्रतिभागियों के उसी समूह के लगभग 58 प्रतिशत ने कहा था कि जब विधानसभा चुनाव होने वाले थे तो वे आप को वोट देंगे।
यह पैटर्न भारत के अधिकांश प्रमुख राज्यों में देखा गया है, जिसमें केरल भी शामिल है, जिसने 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को भारी जीत दिलाई और फिर बाद के विधानसभा चुनावों में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ को शानदार जीत दिलाई।
–आईएएनएस
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