नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत की हृदय से जुड़ी बीमारी का डॉक्टरों ने दिल्ली में सफलतापूर्वक इजाल कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है उनको हृदय की मुख्य धमनी से जुड़ी जिस प्रकार की बीमारी हुई थी, उस बीमारी से ग्रसित 10 में से 8 लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।
उन्हें हृदय की मुख्य रक्त वाहिका महाधमनी में सूजन की बीमारी के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बीमारी एओर्टिक एन्यूरिज्म कहते हैं। जिसे महाधमनी धमनीविस्फार भी कहते हैं।
महाधमनी धमनीविस्फार (एओर्टिक एन्यूरिज्म) इंसान के हृदय की एक खतरनाक स्थिति है। इसमें हमारे शरीर की सबसे बड़ी धमनी, महाधमनी, अपने सामान्य आकार से 1.5 गुना अधिक बढ़ जाती है।
राष्ट्रीय राजधानी स्थित सी.के. बिड़ला अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने इस बीमारी पर बात करते हुए बताया, ” आमतौर पर इसमें कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन यदि यह फट जाता है या कट जाता है, तो इससे सीने, पेट या पीठ में गंभीर दर्द हो सकता है और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाला रक्तस्राव हो सकता है। जोखिम कारकों में धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, उच्च रक्तचाप और अधिक उम्र शामिल है।”
महाधमनी धमनीविस्फार(एओर्टिक एन्यूरिज्म) का उपचार सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। यह खुली सर्जरी या न्यूनतम आक्रामक अंतर्गर्भाशयी धमनीविस्फार मरम्मत यानी इनवैसिव एंडोवैस्कुलर एन्यूरिज्म रिपेयर (ईवीएआर) के द्वारा किया जाता है।
बेंगलुरु के एस्टर आर.वी. अस्पताल के सीनियर डॉ. कृष्ण चैतन्य ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश धमनी विस्फार तब तक लक्षण उत्पन्न नहीं करते, जब तक कि यह फट न जाए।
डॉ. चैतन्य ने इस विषय पर आईएएनएस से बात करते हुए बताया, “केवल कुछ भाग्यशाली व्यक्तियों में ही सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान इस बीमारी पता चल पाता है। कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि 65 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 12 प्रतिशत वयस्क महाधमनी धमनीविस्फार से पीड़ित हैं, जबकि युवा व्यक्तियों में इसका प्रतिशत कम देखा जाता है। अचानक मृत्यु के कई मामलों को गलती से बड़े पैमाने पर दिल का दौरा या उम्र बढ़ने के रूप में चिह्नित किया जाता है, जबकि वास्तविक कारण कभी पता नहीं चल पाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “ऐसा कहा जाता है कि फटे हुए महाधमनी धमनीविस्फार वाले 10 में से आठ व्यक्ति जीवित अस्पताल नहीं पहुंच पाते। वर्तमान में, सक्रिय महाधमनी धमनीविस्फार जांच ही ‘जोखिम ग्रस्त’ लोगों में इस बीमारी का पता लगाने का एकमात्र तरीका है।”
–आईएएनएस
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