नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को नौकरी दिलाने के नाम पर 20 वर्षीय महिला से सामूहिक बलात्कार और सेक्स रैकेट के आरोप में दी गई जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अगुवाई वाली पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “हमने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं…हमने ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने और पक्षों को सहयोग करने का निर्देश दिया है।”
पीठ ने यूटी प्रशासन को शिकायतकर्ता द्वारा की गई सुरक्षा से संबंधित शिकायतों पर गौर करने का भी निर्देश दिया, जिसने आरोप लगाया कि नारायण और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के तत्कालीन श्रम आयुक्त आर.एल. ऋषि ने उसका यौन शोषण और सामूहिक बलात्कार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ दलीलों पर विचार न करने का हाई कोर्ट का फैसला सही था। अदालत ने कहा, ”हमने कुछ तथ्यों का जिक्र करने से खुद को दूर रखा है।”
इस साल की शुरुआत में फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर पीठ ने नारायण की नियमित जमानत याचिका यह कहते हुए स्वीकार कर ली थी कि यह उनके जीवन का “पहला मामला” था और वह “हिस्ट्रीशीटर नहीं” थे।
अपनी शिकायत में, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसे एक परिचित व्यक्ति ने तत्कालीन श्रम आयुक्त ऋषि से मिलवाया था, जो उसे मुख्य सचिव नारायण के आवास पर ले गया। महिला ने आरोप लगाया कि उसे नारायण के आवास पर शराब की पेशकश की गई थी और जब उसने इनकार किया तो मुख्य सचिव और श्रम आयुक्त ने उसके साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया।
बाद में, आरोप सामने आए कि नौकरी के बदले सेक्स रैकेट में 20 महिलाओं को कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर में आरोपियों के आवास पर ले जाया गया था और इनमें से कुछ महिलाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान की गईं थीं।
ऐसी खबरें थीं कि दो नौकरशाहों और 20 वर्षीय महिला के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) महिला की शिकायत में उल्लिखित यौन उत्पीड़न के समय से मेल खाते हैं।
पूर्व मुख्य सचिव को बाद में उनके यौन उत्पीडन पर रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था। उनके सहयोगी, अंडमान एवं निकोबार प्रशासन के पूर्व श्रम आयुक्त को भी निलंबित कर दिया गया था।
–आईएएनएस
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