नई दिल्ली, 26 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ विजय मदनलाल चौधरी मामले में अपने 2022 के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं पर फैसला करेगी, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और संपत्ति की कुर्की से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को बरकरार रखा गया है।
तीन न्यायाधीशों की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एस.के. कौल, संजीव खन्ना और बेला एम. त्रिवेदी कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम व अन्य द्वारा दायर समीक्षा याचिकाओं पर 18 अक्टूबर से सुनवाई करेंगे।
विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में 3 न्यायाधीशों की पीठ ने पीएमएलए की धारा 50 की चुनौती को खारिज कर दिया था, जिसमें एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी को एक आरोपी को बुलाने और एक बयान दर्ज करने की शक्ति दी गई थी, जो कानून की अदालत में स्वीकार्य साक्ष्य है।
2022 का फैसला न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपराध की आय की परिभाषा, गिरफ्तारी की शक्ति, तलाशी और जब्ती, संपत्तियों की कुर्की और दोहरी जमानत शर्तों के संबंध में पीएमएलए के कड़े प्रावधानों की पुष्टि की।
पिछले साल 25 अगस्त को तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ दो मुख्य चिंताओं के लिए अपने पीएमएलए फैसले की समीक्षा करने पर सहमत हुई थी – गिरफ्तारी के समय आरोपियों को ईसीआईआर प्रदान न करना और निर्दोषता की धारणा को नकारना।
इस साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ सरकार ने संवैधानिक वैधता पीएमएलए को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि छत्तीसगढ़ में विपक्षी सरकार के सामान्य कामकाज में बाधा डालने और परेशान करने के लिए सत्ता में बैठे लोगों द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। .
–आईएएनएस
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