deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home Today's Special News

सुप्रीम कोर्ट जनसभा, रैलियों पर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आंध्र सरकार की याचिका पर विचार के लिए राजी

by
January 18, 2023
in Today's Special News, अभिमत, इंदौर, उज्जैन, खेल, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, जानकारी, तकनीकी, ताज़ा समाचार, नर्मदापुरम, ब्लॉग, भोपाल, मनोरंजन, रीवा, लाइफ स्टाइल, विचार, शहडोल, सागर
0
सुप्रीम कोर्ट जनसभा, रैलियों पर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आंध्र सरकार की याचिका पर विचार के लिए राजी
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

READ ALSO

मुंबईः यूके के ट्रेड मिनिस्टर से मिले पीयूष गोयल, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू करने के रोडमैप पर चर्चा की

बंगाल के राज्यपाल ने भाजपा सांसद और विधायक पर हमले को बताया निंदनीय, बोले-‘बंगाल में स्थिति अच्छी नहीं’

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।

आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।

राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।

शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।

आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

Related Posts

ताज़ा समाचार

मुंबईः यूके के ट्रेड मिनिस्टर से मिले पीयूष गोयल, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू करने के रोडमैप पर चर्चा की

October 9, 2025
ताज़ा समाचार

बंगाल के राज्यपाल ने भाजपा सांसद और विधायक पर हमले को बताया निंदनीय, बोले-‘बंगाल में स्थिति अच्छी नहीं’

October 9, 2025
ताज़ा समाचार

करियर के अंत तक टेस्ट में जडेजा 4,000 रन और 400 विकेट के आंकड़े को पार कर जाएंगे: पटेल

October 9, 2025
ताज़ा समाचार

संत प्रेमानंद महाराज पूर्ण रूप से स्वस्थ, आश्रम ने अफवाहों का किया खंडन

October 9, 2025
ताज़ा समाचार

हरियाणा पुलिस अधिकारी आत्महत्या मामला : पत्नी ने डीजीपी और एसपी पर लगाए प्रताड़ना के आरोप

October 9, 2025
ताज़ा समाचार

मुख्यमंत्री धामी ने रेल मंत्री से की मुलाकात, अश्विनी वैष्णव ने उत्तराखंड के रेल प्रस्तावों पर जताई सहमति

October 9, 2025
Next Post
एसजीपीसी प्रमुख की गाड़ी पर हमला, बाल-बाल बचे

एसजीपीसी प्रमुख की गाड़ी पर हमला, बाल-बाल बचे

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

120233
Total views : 6046161
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In