नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी।
एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जनसभाओं और रैलियों से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 19 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजमार्गो सहित अन्य सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश (जीओ) को 23 जनवरी तक के लिए निलंबित कर दिया है।
राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल ही में 28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंडाकुरु में आयोजित एक राजनीतिक रोड शो में भगदड़ के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है, इस घटना ने राज्य सरकार को जीओ जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक बैठकों/प्रदर्शनों को विनियमित करने में पुलिस की मदद लेने पर जोर दिया गया।
आंध्र प्रदेश पुलिस विभाग को ऐसी जनसभाओं के लिए अनुमति देने से परहेज करने की सलाह दी गई थी, जब तक कि ऐसी बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्ति द्वारा पर्याप्त और असाधारण कारण प्रदान नहीं किए गए हों।
राज्य सरकार ने कहा : आक्षेपित जीओ पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत पुलिस द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का एक सेट मात्र है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसके बजाय, यह केवल यथोचित रूप से इसे नियंत्रित करता है। हाल ही में मृत्यु और सार्वजनिक असुविधा दोनों के उदाहरण इंगित करते हैं कि सार्वजनिक सुरक्षा और हित जनादेश है कि ऐसी बैठकों से बचा जाए, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में न हो, और विवादित शासनादेश केवल पुलिस को आदर्श रूप से तदनुसार कार्य करने की सलाह देता है।
शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया था। इसने मामले को 20 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए आदेश पारित किया गया था।
आंध्र सरकार ने 28 दिसंबर को कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भगदड़ के मद्देनजर 2 जनवरी को आदेश जारी किया था।
–आईएएनएस
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