नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को शीर्ष अदालत के आदेश को गलत तरीके से गढ़ने के एक मामले में आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने आदेश दिया कि रजिस्ट्रार (न्यायिक) ने जांच में पाया कि शीर्ष अदालत का एक आदेश मनगढ़ंत था, जिसके बाद पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज करके आपराधिक कानून को लागू किया जाना चाहिए।
पीठ ने विशेष रूप से जांच एजेंसी को मामले से जुड़े वकील की कथित भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया, जिन्होंने नोटिस के माध्यम से बुलाए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने का फैसला किया।
आगे कहा कि हालांकि, वकील प्रीति मिश्रा को उनकी भूमिका की जांच करने के लिए नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने आज इस अदालत के सामने पेश नहीं होने का फैसला किया है। यह जांच एजेंसी का काम है कि वह कथित तौर पर उनके द्वारा निभाई गई भूमिका की जांच करे।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी दो महीने की अवधि के भीतर जांच के बारे में एक रिपोर्ट पेश करेंगे।
पिछले साल जुलाई में मुख्य मामला खारिज होने के बाद, याचिकाकर्ताओं में से एक ने अदालत के ध्यान में लाया कि दो परस्पर विरोधी आदेश, पहला बर्खास्तगी और दूसरा विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की अनुमति देने वाला आदेश, कथित तौर पर एक ही पीठ द्वारा पारित किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत पर स्वत: संज्ञान लिया और वकील मिश्रा को चार सप्ताह में वापसी करने योग्य नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, अदालत ने एसएलपी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट के आक्षेपित फैसले और आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
मंगलवार को पारित अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि इस न्यायालय के आदेश की प्रति होने का दावा करने वाला दस्तावेज़, जिसे रिपोर्ट में अनुबंध-3 द्वारा चिह्नित किया गया है, एक मनगढ़ंत दस्तावेज है। पुलिस रिपोर्ट पर 1 दिसंबर को मामले की सुनवाई होगी।
–आईएएनएस
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