नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
–आईएएनएस
सीबीटी
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह तय करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं को प्रदान करें।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।
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सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है। इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो।
आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए।