नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
–आईएएनएस
एसजीके
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।
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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के मलप्पुरम के तिरुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि अब हम ट्रेन स्टॉपेज तय करें? अब क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें रेलवे प्रशासन को दायर याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने की जरूरत थी।
केरल उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि ट्रेन के ठहराव जैसे मामले का निर्धारण रेलवे द्वारा किया जाना है।
अदालत ने कहा था, “हम संतुष्ट हैं कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और न ही इस मुकदमे (मुकदमेबाजी) में शामिल मामला न्यायसंगत है… किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रोका जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता, एक प्रैक्टिसिंग वकील ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी होने के बावजूद और बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, मलप्पुरम जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के पूरे लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत बड़े पूर्वाग्रह का कारण बनता है।