नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, और ऐसी हल्की जनहित याचिकाएं दायर करने पर चिंता व्यक्त की।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति वीएस नरसिम्हा की पीठ ने टिप्पणी की, “यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस प्रकार की जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया, जो उसके समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे।
अपनी याचिका में वकील सचिन गुप्ता ने केंद्र द्वारा जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की।
“संविधान के अनुच्छेद 32 का आह्वान करते हुए केंद्र को जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए एक नीति तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर भुगतान की रसीद पेश करनी होगी।”
–आईएएनएस
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