नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को फंड के कथित गबन के मामले में गुजरात पुलिस द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करने को कहा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने दंपति को अग्रिम जमानत देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश पारित किया।
पीठ ने यह भी आदेश दिया कि शीर्ष अदालत द्वारा गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने वाला पूर्व निर्देश पूर्ण बनाया जाता है, क्योंकि मामले में अब तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि दोनों पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
जुड़े मामलों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में कुछ भी नहीं बचा है, क्योंकि आरोपी को पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है।
मार्च 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के दंगों में तबाह हुई अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में एक संग्रहालय के लिए आवंटित धन के कथित गबन के मामले में तीस्ता और उनके पति को अग्रिम जमानत देने के सवाल को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 2002 के दंगों के मामलों में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च पदस्थ अधिकारियों को फंसाने के लिए दस्तावेजों में कथित रूप से हेरफेर करने से संबंधित एक अन्य मामले में सीतलवाड को नियमित जमानत दे दी थी।
तीस्ता, जो पिछले साल सितंबर से अंतरिम जमानत पर हैं, को गुजरात उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद “तुरंत आत्मसमर्पण” करने के लिए कहा था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण दिया था। उसी दिन देर रात विशेष बैठक बुलाई गई।
अहमदाबाद पुलिस की डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) ने उन पर 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में निर्दोष व्यक्तियों को झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
–आईएएनएस
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