नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
–आईएएनएस
एसएचके/सीबीटी
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
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कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
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बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।
–आईएएनएस
एसएचके/सीबीटी
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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा। दरअसल, 6 ए उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और असम की पूर्व सरकार द्वारा एनआरसी के संबंध में दिए निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की अपने स्तर पर निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जुलाई 1949 के बाद निर्वासित हुए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान 6 ए में है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित हुए लोगों को एस 6 ए के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है।”
कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6 ए की वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
बता दें कि सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं।
वहीं 6 ए के विरोध में दाखिल की गई याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया था, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग प्रणाली निर्धारित करता है।