नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ 6 सितंबर को मामले की सुनवाई जारी रखेगी।
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा वापस ले लिया था, जिसमें कहा गया था कि जनगणना जैसी प्रक्रिया करने का हकदार उसके अलावा कोई नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा दायर नए हलफनामे में यह कहते हुए पैराग्राफ को वापस ले लिया गया कि “संविधान के तहत या अन्यथा (केंद्र को छोड़कर) कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है।”
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की अवधि की अनुमति दी थी, जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वह संवैधानिक और कानूनी स्थिति को रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं।
शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि सर्वेक्षण प्रक्रिया गोपनीयता कानून का उल्लंघन करती है और केवल केंद्र सरकार के पास भारत में जनगणना करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास जाति आधारित जनगणना के संचालन पर निर्णय लेने और उसे अधिसूचित करने का कोई अधिकार नहीं है।
शीर्ष अदालत ने सर्वेक्षण प्रक्रिया या सर्वेक्षण के परिणामों के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से बार-बार इनकार कर दिया था, हालांकि यह तर्क दिया गया था कि डेटा के प्रकाशन के बाद मामला निरर्थक हो जाएगा।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कहा है कि बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पूरा हो गया है और परिणाम जल्द ही सार्वजनिक हो जाएगा।
राज्य जाति सर्वेक्षण प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘लिंग’ की श्रेणी के बजाय ‘जाति’ के रूप में वर्गीकृत करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष एक और याचिका दायर की गई है।
–आईएएनएस
एसजीके