नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने एक वाणिज्यिक मुद्दों से जुड़े तुच्छ मामलों को दाखिल करने पर अंकुश लगाने के लिए सोमवार को वाणिज्यिक मामलों में पूर्व-सुनवाई लागतों को लागू करने का प्रस्ताव दिया।
प्रधान न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आने वाले वाणिज्यिक मामलों में अग्रिम लागत लगाने का समय आ गया है, ताकि शीर्ष न्यायालय के समक्ष तुच्छ मामले नहीं लाए जाएं।
उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले अदालत के बहुत समय का उपभोग करते हैं और यह सुप्रीम कोर्ट के लिए वाणिज्यिक मामलों में यह कहने का समय है कि पहली बार 5 करोड़ रुपये की लागत जमा होती है और अगर यह तुच्छ है, तो लागत हमारे पास रहेगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के मामलों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है और याद किया कि जब वह वकील थे, तो बॉम्बे हाईकोर्ट ऐसे मामलों पर बहुत सख्त हुआ करते थे।
उन्होंने कहा, न्यायाधीश हमेशा पूछते थे – कार्रवाई का कारण कब उत्पन्न हुआ? यदि आप न्यायाधीश को बताते हैं कि दो साल पहले, तो आपका मामला चला गया। कोई राहत नहीं।
उन्होंने आगे टिप्पणी की कि कई मामलों में निचली अदालतों के विज्ञापन-अंतरिम आदेशों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की जाती है।
सीजेआई ने कहा, आपको एहसास नहीं है कि आप इस तरह के मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में आते हैं और हमारा समय जाया करते हैं।
–आईएएनएस
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