नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरेश वाडकर, भारतीय संगीत जगत का एक ऐसा नाम है जिसने अपनी मधुर आवाज से लाखों दिलों को जीता है। 7 अगस्त, 1955 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मे सुरेश वाडकर ने भारतीय संगीत जगत में एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसके लिए लाखों लोग तरसते हैं। उनकी आवाज में एक ऐसी जादुई ताकत है जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
उनका बचपन से ही संगीत के प्रति गहरा लगाव रहा है। अपने पिता की चाहत को जीवंत बनाने के लिए उन्होंने संगीत की शिक्षा ली। उन्होंने हिंदी के साथ-साथ मराठी फिल्मों में भी कई गाने गाए हैं। उनकी आवाज में एक खास बात यह है कि वह किसी भी गाने को अपनी आवाज से और भी खूबसूरत बना देते हैं।
उन्होंने अपनी शानदार गायन कला से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले कई लोकप्रिय गानों को जीवंत बना दिया। उनके कुछ लोकप्रिय गानों में ‘“सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है” (गमन 1978), “मेरी किस्मत में तू नहीं शायद” (प्रेम रोग 1982), “ए जिन्दगी गले लगा ले” (सदमा 1983), “तुमसे मिलके ऐसा लगा तुमसे मिलके” (परिंदा 1989), “सपने में मिलती है” (सत्या 1998) आदि शामिल हैं। इन गानों ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। सुरेश वाडकर ने न सिर्फ हिंदी फिल्मों में बल्कि कई भजनों के लिए भी अपनी आवाज दी है।
उनकी आवाज में एक ऐसी गहराई है जो सीधे दिल तक पहुंचती है। उनकी आवाज में एक खास तरह का भाव होता है जो सुनने वालों को भावुक कर देता है। वह अपनी आवाज से एक जादू पैदा करते हैं जो लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करती है।
उन्होंने संगीत की दुनिया में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। संगीत के क्षेत्र में दिए गए उनके योगदान को लोग सहेज कर रखते हैं। यह संगीत के क्षेत्र में एक ऐसी विरासत है जिसे सहेज कर रखने की जरूरत है। उन्होंने एक संगीत स्कूल भी खोला है जहां वह युवा गायकों को प्रशिक्षण देते हैं।
वह व्यक्तित्व से बहुत ही विनम्र और सरल हैं। उन्होंने एक ऐसे गायक के रूप में अपनी छवि उकेरी है जो अपनी मेहनत और लगन से बहुत कुछ हासिल करने का जज्बा रखता है। उनका जीवन आम लोगों के लिए एक प्रेरणा है।
सुरेश वाडकर सिर्फ एक गायक नहीं हैं, बल्कि वे एक कलाकार हैं। उनकी आवाज एक ऐसा जादू है जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। सुरेश वाडकर का संगीत हमेशा लोगों के दिलों में रहेगा।
–आईएएनएस
पीएसएम/एसकेपी
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरेश वाडकर, भारतीय संगीत जगत का एक ऐसा नाम है जिसने अपनी मधुर आवाज से लाखों दिलों को जीता है। 7 अगस्त, 1955 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मे सुरेश वाडकर ने भारतीय संगीत जगत में एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसके लिए लाखों लोग तरसते हैं। उनकी आवाज में एक ऐसी जादुई ताकत है जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
उनका बचपन से ही संगीत के प्रति गहरा लगाव रहा है। अपने पिता की चाहत को जीवंत बनाने के लिए उन्होंने संगीत की शिक्षा ली। उन्होंने हिंदी के साथ-साथ मराठी फिल्मों में भी कई गाने गाए हैं। उनकी आवाज में एक खास बात यह है कि वह किसी भी गाने को अपनी आवाज से और भी खूबसूरत बना देते हैं।
उन्होंने अपनी शानदार गायन कला से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले कई लोकप्रिय गानों को जीवंत बना दिया। उनके कुछ लोकप्रिय गानों में ‘“सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है” (गमन 1978), “मेरी किस्मत में तू नहीं शायद” (प्रेम रोग 1982), “ए जिन्दगी गले लगा ले” (सदमा 1983), “तुमसे मिलके ऐसा लगा तुमसे मिलके” (परिंदा 1989), “सपने में मिलती है” (सत्या 1998) आदि शामिल हैं। इन गानों ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। सुरेश वाडकर ने न सिर्फ हिंदी फिल्मों में बल्कि कई भजनों के लिए भी अपनी आवाज दी है।
उनकी आवाज में एक ऐसी गहराई है जो सीधे दिल तक पहुंचती है। उनकी आवाज में एक खास तरह का भाव होता है जो सुनने वालों को भावुक कर देता है। वह अपनी आवाज से एक जादू पैदा करते हैं जो लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करती है।
उन्होंने संगीत की दुनिया में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। संगीत के क्षेत्र में दिए गए उनके योगदान को लोग सहेज कर रखते हैं। यह संगीत के क्षेत्र में एक ऐसी विरासत है जिसे सहेज कर रखने की जरूरत है। उन्होंने एक संगीत स्कूल भी खोला है जहां वह युवा गायकों को प्रशिक्षण देते हैं।
वह व्यक्तित्व से बहुत ही विनम्र और सरल हैं। उन्होंने एक ऐसे गायक के रूप में अपनी छवि उकेरी है जो अपनी मेहनत और लगन से बहुत कुछ हासिल करने का जज्बा रखता है। उनका जीवन आम लोगों के लिए एक प्रेरणा है।
सुरेश वाडकर सिर्फ एक गायक नहीं हैं, बल्कि वे एक कलाकार हैं। उनकी आवाज एक ऐसा जादू है जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। सुरेश वाडकर का संगीत हमेशा लोगों के दिलों में रहेगा।
–आईएएनएस
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