नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। प्रकृति ने हमें कई अनमोल उपहार दिए हैं, जिनमें से सूर्य सबसे महत्वपूर्ण है। सूर्य की किरणें शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक उपाय भी हैं। आयुर्वेद में सूर्य की ऊर्जा यानी धूप लेना बहुत आवश्यक और लाभकारी माना गया है।
सूर्य की किरणें मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होती हैं। खासकर, सूर्य की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी को आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा, दोनों में जीवन के लिए अमृत समान माना गया है। विटामिन डी को ‘सनशाइन विटामिन’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसका सबसे प्रभावशाली और प्राकृतिक स्रोत सूर्य की किरणें हैं।
जब त्वचा पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है, तब शरीर में एक विशेष प्रक्रिया द्वारा विटामिन डी3 बनता है, जो कि हड्डियों, मांसपेशियों और इम्यून सिस्टम के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायक होता है। इससे हड्डियां मजबूत बनती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस, रिकेट्स जैसी बीमारियों से बचाव होता है। बच्चों के विकास और वृद्धों के लिए यह विशेष रूप से आवश्यक है। विटामिन डी शरीर की इम्यून प्रणाली को सक्रिय करता है, जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने की ताकत बढ़ती है।
सूर्य की किरणें त्वचा पर पड़ने से रोमछिद्र खुलते हैं और त्वचा की सफाई होती है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। साथ ही, त्वचा पर हल्की धूप एक प्राकृतिक रोगनाशक के रूप में कार्य करती है।
आयुर्वेद में धूप लेना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक माना गया है। नियमित रूप से हल्की धूप में बैठने से मूड बेहतर होता है और मानसिक स्फूर्ति बनी रहती है।
सुबह 7 बजे से 9 बजे तक की धूप सबसे उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि, ज्यादा धूप से त्वचा को नुकसान हो सकता है, इसलिए ज्यादा समय तक धूप में न रहें।
–आईएएनएस
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