वाशिंगटन, 30 मार्च (आईएएनएस)। सूर्य ने एक तेज सौर ज्वाला का उत्सर्जन किया है, जिससे पृथ्वी पर रेडियो संचार गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। यह बात नासा ने कही।
ज्वाला, जिसे एक्स1.2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इस वर्ष पृथ्वी से टकराने वाला सातवां सौर ज्वाला है। इसे नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने देखा, जो लगातार सूर्य को देखता है।
एक्स-क्लास सबसे तेज ज्वालाओं को दर्शाता है, जबकि संख्या इसकी ताकत के बारे में अधिक जानकारी देती है।
वेधशाला ने कहा, 28 मार्च को तेज सौर ज्वाला की चमक रात 10:33 ईटी (रात 8:03 बजेआईएसटी) चरम पर थी।
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने एक बयान में कहा, 28 मार्च को रात 10:33 बजे ईडीटी पर रीजन 3256 से एक्स1.2 फ्लेयर के कारण ए आर3 (स्ट्रॉन्ग) एचएफ रेडियो ब्लैकआउट इवेंट हुआ।
स्पेस डॉट डॉट कॉम ने बताया कि तेज सौर ज्वाला ने पृथ्वी के वायुमंडल की शीर्ष परत को आयनित कर दिया, जिससे दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रेडियो संचार प्रभावित हुआ।
सौर ज्वाला ऊर्जा के शक्तिशाली विस्फोट हैं। भड़कना और सौर विस्फोट रेडियो संचार, विद्युत शक्ति ग्रिड, नेविगेशन संकेतों को प्रभावित कर सकते हैं और अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।
इस बीच यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के एक वैज्ञानिक ने सूर्य की सतह पर एक विशाल छेद की खोज की है।
यूसीएल में अंतरिक्ष और जलवायु भौतिकी के एसोसिएट प्रोफेसर डैनियल वर्शेरेन ने कहा कि छेद पृथ्वी से 20 गुना बड़ा है, और इसके परिणामस्वरूप एक भू-चुंबकीय तूफान हो सकता है, जो हमारे ग्रह पर लगभग 1.8 मिलियन मील प्रति घंटे की गति से पहुंच सकता है।
बिजनेस इनसाइडर ने उनके हवाले से कहा कि शुक्रवार तक इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना है।
एनओएए ने कहा कि इस हफ्ते की शुरुआत में पृथ्वी ने लगभग छह वर्षो में सबसे दमदार जी4 परिमाण का एक भू-चुंबकीय तूफान देखा, जिससे पूरे अमेरिका में औरोरा पैदा हो गए।
स्पेस डॉट डॉट कॉम ने बताया कि तूफान की अप्रत्याशित गति ने न केवल अमेरिका के न्यू मैक्सिको के दक्षिण में औरोरा बनाया, बल्कि इसने स्पेसफ्लाइट कंपनी रॉकेट लैब को लॉन्च में 90 मिनट की देरी करने के लिए मजबूर कर दिया।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह के और सौर तूफान आने की उम्मीद है, क्योंकि सूर्य अपनी गतिविधि के चरम पर पहुंच रहा है, जो लगभग हर 11 साल में होता है।
–आईएएनएस
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