चेन्नई, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। चेन्नई के पुझल केंद्रीय कारागार में बंद तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी ने चिकित्सा आधार पर जमानत की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया है।
सेंथिल बालाजी को ईडी ने 14 जून को नकदी के बदले नौकरी घोटाले से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान मंत्री थे।
बालाजी ने बाद में अन्नाद्रमुक छोड़ दिया और द्रमुक में शामिल हो गए जहां वह मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री बने।
बालाजी ने मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं कई कैदियों को केवल मानवीय और चिकित्सा आधार पर जमानत पर रिहा किया था।
जिस याचिका पर एकल पीठ के न्यायाधीश द्वारा सुनवाई की जाएगी, उसमें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जयचंद्रन बालाजी ने कहा कि उन्हें भर्ती किए बिना और जेल अस्पताल तक सीमित किए बिना अपनी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने का अधिकार है।
बालाजी ने अपनी याचिका में उल्लेख किया कि गिरफ्तार होने के तुरंत बाद उनके दिल में तेज दर्द उठा और सरकारी अस्पताल में जांच करने पर पता चला कि उनकी कोरोनरी धमनी में तीन ब्लॉकेज थे।
अपनी याचिका में, मंत्री ने कहा कि निजी कावेरी अस्पताल में उनकी बाईपास सर्जरी हुई। बाद में उन्हें 17 जून को पुझल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।अगस्त में ईडी ने छह दिनों तक हिरासत में पूछताछ की।
याचिका में कहा गया है कि जेल अस्पताल में इलाज के बावजूद उनकी रिकवरी धीमी है और वह अभी भी सीने में तकलीफ, दर्द, गंभीर सुन्नता और बाएं पैर में दर्द से पीड़ित हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें 8 अक्टूबर को बेचैनी हुई और जेल अधिकारी उन्हें सरकारी स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें लैकुनर स्ट्रोक के लक्षणों और डिस्लिपिडेमिया से पीड़ित बताया।
मंत्री ने अपनी अपील में कहा है कि केवल इसलिए कि जेल अस्पताल में इलाज दिया जाता है, इसका मतलब यह नहीं है कि कैदी पसंद के अस्पताल में बेहतर इलाज पाने का हकदार नहीं है।
–आईएएनएस
पीके/एबीएम