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Home ताज़ा समाचार

सेकेंडरी एग्रीकल्चर को प्रोत्साहित करने से सशक्त होंगे देश के किसान: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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September 20, 2024
in ताज़ा समाचार
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रांची, 20 सितंबर (आईएएनएस)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण के लिए सेकेंडरी एग्रीकल्चर की गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को रांची के नामकुम स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर’ (निसा) की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार एवं विकास और किसानों की सहायता के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। कृषि आधारित उद्योगों के विकास, एफपीओ और पैक्स जैसे संगठनों के विस्तार, दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम, प्राकृतिक खेती के विकास और सप्लाई चेन को सशक्त करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को और सशक्त बनाने के लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन सहित अन्य सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमारे देश में कृषि क्षेत्र में तीन बड़ी चुनौतियां क्रमश: खाद्य पोषण एवं संरक्षण को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाना हैं। इन चुनौतियों का सामना करने में सेकेंडरी एग्रीकल्चर काफी मददगार साबित हो सकता है।

किसानों को प्राथमिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।

राष्ट्रपति ने रांची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के 100 वर्षों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस संस्थान ने लाह फार्मिंग, वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन और प्रसंस्करण में सराहनीय कार्य किया है। उन्हें झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी इस संस्थान में आने का मौका मिला था और उन्होंने पाया था कि इसने किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया है। देश में लाह का 55 प्रतिशत उत्पादन झारखंड में होता है और इससे सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय के किसान जुड़े हैं। यह संस्थान उनका जीवन स्तर सुधारने में मददगार बना है।

उन्होंने कहा कि आज फार्मास्यूटिकल्स एवं कॉस्मेटिक्स उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले लाह की मांग है। उन्हें उम्मीद है कि यह संस्थान इस दिशा में काम करेगा। इससे लाह उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी। राष्ट्रपति ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के अधिकारियों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करें, जिससे किसान अपनी सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा समय तक संरक्षित और ताजा रख सकें।

राष्ट्रपति ने झारखंड से अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखंड आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से मुझे बहुत स्नेह मिलता है। राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहां जनसेवा का कार्य किया है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

–आईएएनएस

एसएनसी/एफजेड

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रांची, 20 सितंबर (आईएएनएस)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण के लिए सेकेंडरी एग्रीकल्चर की गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को रांची के नामकुम स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर’ (निसा) की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार एवं विकास और किसानों की सहायता के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। कृषि आधारित उद्योगों के विकास, एफपीओ और पैक्स जैसे संगठनों के विस्तार, दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम, प्राकृतिक खेती के विकास और सप्लाई चेन को सशक्त करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को और सशक्त बनाने के लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन सहित अन्य सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमारे देश में कृषि क्षेत्र में तीन बड़ी चुनौतियां क्रमश: खाद्य पोषण एवं संरक्षण को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाना हैं। इन चुनौतियों का सामना करने में सेकेंडरी एग्रीकल्चर काफी मददगार साबित हो सकता है।

किसानों को प्राथमिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।

राष्ट्रपति ने रांची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के 100 वर्षों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस संस्थान ने लाह फार्मिंग, वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन और प्रसंस्करण में सराहनीय कार्य किया है। उन्हें झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी इस संस्थान में आने का मौका मिला था और उन्होंने पाया था कि इसने किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया है। देश में लाह का 55 प्रतिशत उत्पादन झारखंड में होता है और इससे सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय के किसान जुड़े हैं। यह संस्थान उनका जीवन स्तर सुधारने में मददगार बना है।

उन्होंने कहा कि आज फार्मास्यूटिकल्स एवं कॉस्मेटिक्स उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले लाह की मांग है। उन्हें उम्मीद है कि यह संस्थान इस दिशा में काम करेगा। इससे लाह उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी। राष्ट्रपति ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के अधिकारियों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करें, जिससे किसान अपनी सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा समय तक संरक्षित और ताजा रख सकें।

राष्ट्रपति ने झारखंड से अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखंड आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से मुझे बहुत स्नेह मिलता है। राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहां जनसेवा का कार्य किया है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

–आईएएनएस

एसएनसी/एफजेड

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रांची, 20 सितंबर (आईएएनएस)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण के लिए सेकेंडरी एग्रीकल्चर की गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को रांची के नामकुम स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर’ (निसा) की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार एवं विकास और किसानों की सहायता के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। कृषि आधारित उद्योगों के विकास, एफपीओ और पैक्स जैसे संगठनों के विस्तार, दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम, प्राकृतिक खेती के विकास और सप्लाई चेन को सशक्त करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को और सशक्त बनाने के लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन सहित अन्य सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमारे देश में कृषि क्षेत्र में तीन बड़ी चुनौतियां क्रमश: खाद्य पोषण एवं संरक्षण को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाना हैं। इन चुनौतियों का सामना करने में सेकेंडरी एग्रीकल्चर काफी मददगार साबित हो सकता है।

किसानों को प्राथमिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।

राष्ट्रपति ने रांची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के 100 वर्षों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस संस्थान ने लाह फार्मिंग, वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन और प्रसंस्करण में सराहनीय कार्य किया है। उन्हें झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी इस संस्थान में आने का मौका मिला था और उन्होंने पाया था कि इसने किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया है। देश में लाह का 55 प्रतिशत उत्पादन झारखंड में होता है और इससे सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय के किसान जुड़े हैं। यह संस्थान उनका जीवन स्तर सुधारने में मददगार बना है।

उन्होंने कहा कि आज फार्मास्यूटिकल्स एवं कॉस्मेटिक्स उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले लाह की मांग है। उन्हें उम्मीद है कि यह संस्थान इस दिशा में काम करेगा। इससे लाह उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी। राष्ट्रपति ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के अधिकारियों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करें, जिससे किसान अपनी सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा समय तक संरक्षित और ताजा रख सकें।

राष्ट्रपति ने झारखंड से अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखंड आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से मुझे बहुत स्नेह मिलता है। राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहां जनसेवा का कार्य किया है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को रांची के नामकुम स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर’ (निसा) की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार एवं विकास और किसानों की सहायता के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। कृषि आधारित उद्योगों के विकास, एफपीओ और पैक्स जैसे संगठनों के विस्तार, दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम, प्राकृतिक खेती के विकास और सप्लाई चेन को सशक्त करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को और सशक्त बनाने के लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन सहित अन्य सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमारे देश में कृषि क्षेत्र में तीन बड़ी चुनौतियां क्रमश: खाद्य पोषण एवं संरक्षण को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाना हैं। इन चुनौतियों का सामना करने में सेकेंडरी एग्रीकल्चर काफी मददगार साबित हो सकता है।

किसानों को प्राथमिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।

राष्ट्रपति ने रांची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के 100 वर्षों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस संस्थान ने लाह फार्मिंग, वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन और प्रसंस्करण में सराहनीय कार्य किया है। उन्हें झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी इस संस्थान में आने का मौका मिला था और उन्होंने पाया था कि इसने किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया है। देश में लाह का 55 प्रतिशत उत्पादन झारखंड में होता है और इससे सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय के किसान जुड़े हैं। यह संस्थान उनका जीवन स्तर सुधारने में मददगार बना है।

उन्होंने कहा कि आज फार्मास्यूटिकल्स एवं कॉस्मेटिक्स उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले लाह की मांग है। उन्हें उम्मीद है कि यह संस्थान इस दिशा में काम करेगा। इससे लाह उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी। राष्ट्रपति ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के अधिकारियों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करें, जिससे किसान अपनी सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा समय तक संरक्षित और ताजा रख सकें।

राष्ट्रपति ने झारखंड से अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखंड आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से मुझे बहुत स्नेह मिलता है। राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहां जनसेवा का कार्य किया है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

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