न्यूयॉर्क, 13 अगस्त (आईएएनएस)। ओपनएआई के चैटजीपीटी ने लगभग 52 प्रतिशत सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सवालों के गलत जवाब दिए, जिससे इसकी सटीकता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
अमेरिका में पर्ड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि चैटजीपीटी की लोकप्रियता के बावजूद, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सवालों के जवाबों की गुणवत्ता और उपयोगिता की गहन जांच नहीं की गई है।
इस अंतर को दूर करने के लिए, टीम ने स्टैक ओवरफ्लो (एसओ) के 517 सवालों के चैटजीपीटी के जवाबों का व्यापक विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पेपर में लिखा है, “हमारी जांच से पता चला है कि चैटजीपीटी के 52 प्रतिशत जवाबों में खामियां हैं और 77 प्रतिशत शब्दों का जाल हैं।”
महत्वपूर्ण बात यह है कि टीम ने पाया कि 54 प्रतिशत बार खामियां चैटजीपीटी द्वारा सवालों की अवधारणा को न समझ पाने के कारण हुईं।
उन्होंने कहा, चैटजीपीटी जिन सवालों को समझ जाता है, वह उनको भी हल करने में विफल रहा है, जिससे बड़ी संख्या में खामियां हुईं।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि तर्क करने में चैटजीपीटी की सीमाएं हैं।
उन्होंने कहा, “कई मामलों में, हमने देखा कि चैटजीपीटी बिना दूरदर्शिता या परिणाम के बारे में सोचे समाधान, कोड या फॉर्मूला देता है।”
उन्होंने कहा, “प्रांप्ट इंजीनियरिंग और ह्यूमन-इन-द-लूप फ़ाइन-ट्यूनिंग कुछ हद तक किसी समस्या को समझने के लिए चैटजीपीटी की जांच करने में सहायक हो सकती है, लेकिन जब एलएलएम (लॉजिक लर्निंग मशीन) में तर्क डालने की बात आती है तो वे अभी भी अपर्याप्त हैं। इसलिए खामियों के फैक्टर को समझना और साथ ही तर्क की सीमा से उत्पन्न होने वाली कमियों को ठीक करना आवश्यक है।”
इसके अलावा, चैटजीपीटी अन्य गुणवत्ता संबंधी मुद्दों जैसे शब्द जाल, असंगतता आदि से भी ग्रस्त है। डेप्थ मैनुअल एनालिसिस के रिजल्ट्स ने चैटजीपीटी जवाबों में बड़ी संख्या में वैचारिक और तार्किक कमियों की ओर इशारा किया। भाषाई विश्लेषण परिणामों से पता चला कि चैटजीपीटी जवाब बहुत औपचारिक हैं, और शायद ही कभी नकारात्मक भावनाओं को चित्रित करते हैं।”
फिर भी, यूजर्स ने इसकी व्यापकता और स्पष्ट भाषा शैली के कारण 39.34 प्रतिशत समय चैटजीपीटी की प्रतिक्रियाओं को प्राथमिकता दी।
शोधकर्ताओं ने कहा, “ये निष्कर्ष चैटजीपीटी में सावधानीपूर्वक त्रुटि सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं, साथ ही यूजर्स के बीच सटीक जवाबों से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाते हैं।”
–आईएएनएस
पीके/एकेजे