नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी पिछले साल 25 सितंबर की घटना को नहीं भूले हैं, जब राजस्थान में पार्टी विधायकों के एक गुट की बगावत के कारण पार्टी के पर्यवेक्षकों को कांग्रेस विधायक दल की बैठक किए बिना राष्ट्रीय राजधानी लौटना पड़ा था।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बुधवार सुबह जब कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई, तो गांधी परिवार के साथ-साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
सूत्र ने बताया कि जैसे ही शांति धारीवाल का नाम चर्चा में आया, सोनिया गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए पूछा कि उनका नाम सूची में कैसे है।
सूत्र ने कहा कि जैसा कि गहलोत ने सोनिया गांधी को यह बताना चाहा कि धारीवाल साफ छवि वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की बात टाल दी और कहा कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान चरण के दौरान धारीवाल के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं।
सूत्र ने दावा किया कि इसके बाद उन्होंने स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई से भी पूछा कि क्या उन्हें धारीवाल और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा कोई नाम नहीं मिला है।
गोगोई ने जवाब दिया, “आप ठीक कह रहे हैं।”
सूत्र ने बताया कि धारीवाल के खिलाफ पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की कड़ी आपत्ति के बाद कमरे में पूरी तरह सन्नाटा छा गया।
पिछले साल 25 सितंबर को धालीवाल ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था।
सोनिया गांधी, जो उस समय पार्टी की अंतरिम प्रमुख थीं, ने खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षकों के रूप में राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बैठक आयोजित करने के लिए भेजा था, इन खबरों के बीच कि गहलोत को उनके पद से हटाकर पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है।
हालांकि, पार्टी विधायकों की बैठक नहीं हो पाने के बाद पर्यवेक्षक दिल्ली लौट गए। बैठक से पहले, गहलोत के करीबी माने जाने वाले विधायकों ने धारीवाल के नेतृत्व में मुलाकात की, जिसे गहलोत के वफादार को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुनने के लिए आलाकमान को एक संदेश के रूप में देखा गया।
धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक से खड़गे और माकन को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी और वरिष्ठ नेतृत्व के लिए चुनौती खड़ी हो गई थी।
कांग्रेस ने विधायकों की समानांतर बैठक आयोजित करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राज्य के तीन कांग्रेस नेताओं धारीवाल, विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी और राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सूत्र ने कहा, स्क्रीनिंग कमेटी ने राठौड़ और जोशी का नाम भी हटा दिया। हालांकि, धारीवाल का नाम बुधवार को सीईसी के पास पहुंचा, जब इसे गांधी परिवार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा।
सूत्र ने आगे कहा कि कम से कम 50 से 55 मौजूदा विधायकों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए मतदान 25 नवंबर को होना है और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। कांग्रेस राजस्थान में लगातार दूसरे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है और उसने रेगिस्तानी राज्य में कई जन-समर्थक योजनाएं शुरू की हैं।
–आईएएनएस
एसजीके