नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। सोरायसिस एक दीर्घकालिक त्वचा रोग है, जो आजकल तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह रोग केवल त्वचा की समस्या नहीं बल्कि एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही त्वचा की कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। इसके कारण त्वचा की कोशिकाएं सामान्य से लगभग दस गुना तेजी से बनने लगती हैं, जिससे त्वचा पर लाल धब्बे, मोटी परतें और खुजली जैसी समस्याएं दिखाई देती हैं।
इसे अक्सर लोग सामान्य एलर्जी या खुजली समझकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह स्थिति समय रहते उपचार न करने पर गंभीर रूप ले सकती है।
सोरायसिस के कई कारण होते हैं, जैसे वंशानुगत प्रवृत्ति, यानी परिवार में किसी को यह रोग हो तो अगली पीढ़ी में इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी, तनाव, संक्रमण, ठंडी व शुष्क जलवायु, धूम्रपान, अधिक शराब सेवन और असंतुलित आहार इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
इस रोग के लक्षणों में त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली, जलन और परतें झड़ना शामिल हैं। कई बार ये सफेद या चांदी जैसी दिखाई देती हैं और सिर की त्वचा, कोहनी, घुटनों, पीठ या अन्य हिस्सों पर हो सकती हैं। गंभीर अवस्था में यह जोड़ों तक को प्रभावित कर सकता है, जिसे सोरियाटिक गठिया कहा जाता है।
सोरायसिस से जुड़ा सबसे बड़ा भ्रम यह है कि यह एक संक्रामक रोग है, जबकि यह बिल्कुल संक्रामक नहीं होता, यह छूने से नहीं फैलता। यह रोग सर्दियों में अधिक बढ़ता है और गर्मियों में कुछ हद तक कम हो जाता है। लंबे समय तक रहने पर यह तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याओं का कारण भी बन सकता है। शोध बताते हैं कि सोरायसिस के मरीजों में हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा अधिक होता है।
आयुर्वेद में इस रोग को नियंत्रित करने के लिए कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। हल्दी का सेवन काफी लाभकारी है, क्योंकि इसमें मौजूद कर्क्यूमिन सूजन और लालिमा को कम करता है। एलोवेरा जेल लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है और खुजली घटती है। नीम की पत्तियां शरीर को डिटॉक्स करती हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती हैं।
इसके अलावा, सरसों का तेल और नारियल तेल लगाने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है और परतें मुलायम होती हैं। त्रिफला चूर्ण रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से खून साफ होता है। स्नान के पानी में नीम या अजवाइन डालकर नहाने से खुजली और सूजन में राहत मिलती है।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में संतुलन रखना आवश्यक है। तनाव से बचना, नियमित रूप से योग और ध्यान करना, ठंडी और शुष्क हवा से बचाव, संतुलित आहार लेना, और धूम्रपान व शराब से दूर रहना अत्यंत जरूरी है। इसके साथ ही त्वचा को हमेशा मॉइस्चराइज रखें।
–आईएएनएस
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