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Home राष्ट्रीय

स्कूल नौकरियों के मामले में फैसले के खिलाफ सीएम ममता का कलकत्ता हाईकोर्ट पर हमला जारी

by
April 26, 2024
in राष्ट्रीय
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स्कूल नौकरियों के मामले में फैसले के खिलाफ सीएम ममता का कलकत्ता हाईकोर्ट पर हमला जारी
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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

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शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

–आईएएनएस

सीबीटी/

कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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कोलकाता, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूल नौकरियों के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के हाल के फैसले के खिलाफ न्यायपालिका के एक वर्ग पर हमला जारी रखा। उधर, अदालत ने गुरुवार को ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए तृणमूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका स्वीकार कर ली।

सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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सोमवार को अपने फैसले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है।

शुक्रवार को पश्चिम मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “आम लोगों को अदालत से न्याय की उम्मीद है। ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से लंबित हैं। लेकिन जब भी भाजपा कोई जनहित याचिका दायर करती है, तो फैसला हो जाता है, लेकिन तृणमूल के मामले में इसका उल्टा होता है।”

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के एक हिस्से की भी आलोचना की, जिसमें 2016 में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों द्वारा लिए गए वेतन को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने पूछा, “इतने सारे लोगों की नौकरियां रद्द करने के आदेश के बाद, लिया गया वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि अगर उनसे भी किसी को भी इसी तरह अपना वेतन लौटाने को कहा जाए, तो क्या वे ऐसा कर पाएंगे? क्या राज्य में अराजकता है कि एक साथ इतनी सारी नौकरियां रद्द की जा सकती हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार को बोलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, “भाजपा अपने पैसे के बल पर उच्च न्यायालयों के मामलों को नियंत्रित करती है। मैं सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ नहीं कह रही हूं। हमें अभी भी वहां से न्याय की उम्मीद है। लेकिन उच्च न्यायालयों में भाजपा हमेशा अपनी मनमानी करती है, दूसरों को न्याय नहीं मिलता है।”

मंगलवार को एक अन्य चुनावी रैली में उन्होंने कहा, ”मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। न्यायाधीश सरकारी खजाने से वेतन लेते हैं। उनकी सुरक्षा का खर्च सरकारी उठाती है, फिर भी वे दूसरों की सेवाएं समाप्त कर देते हैं।”

न्यायपालिका के खिलाफ उनके हमलों के बाद, सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बनर्जी के खिलाफ उनकी ‘न्यायपालिका विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

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