नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
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याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
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याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
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स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईाकेर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के मुस्तफाबाद इलाके में एक सरकारी स्कूल के नए भवन के निर्माण की मांग वाली याचिका पर अरविंद केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा।
स्कूल – गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल (जीजीएसएस)/गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (जीबीएसएस) पहले टेंट और पोर्टकैबिन के रूप में थे, उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्कूल भवनों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताई और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुकदमेबाजी के रूप में याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एक नया निर्माण करने की दृष्टि से ध्वस्त किए गए स्कूल को चलाने के लिए 56 अतिरिक्त कक्षाओं वाले भवन का निर्माण करे।
याचिका में दावा किया गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जून 2021 में नए क्लासरूम बनाने के लिए 16.54 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
याचिका में कहा गया है, जनता के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में उत्तरदाताओं की ओर से यह एक घोर विफलता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि मुस्तफाबाद क्षेत्र में रहने वाले हजारों छात्र इस समय शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों में कहा गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भवन का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।