नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
एसकेपी
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए फिर से चुनाव कराने के दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया।
इससे पहले निकाय के लिए मतदान के दौरान एमसीडी हाउस में हंगामे के बाद 24 फरवरी को मेयर ने स्थायी समिति के लिए 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की थी।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव भाजपा के दो पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय का, जो एक रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) भी हैं, एक व्यक्ति के मतपत्र को खारिज करने का फैसला कानून की ²ष्टि से गलत था और यह गिना जाना चाहिए।
जस्टिस कौरव ने कहा कि रिटर्निग अफसर का निर्णय किसी तथ्य पर आधारित नहीं था और ऐसा करने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं थी।
अदालत ने तब ओबेरॉय को 24 फरवरी को हुए मतदान के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया जब उन्होंने चुनाव परिणामों को राजनीतिक रूप से अप्रिय पाकर फिर से चुनाव कराने का आह्वान किया।
ओबेरॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
ओबेरॉय की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा था कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
उन्होंने दावा किया था कि यहां तक कि नगर सचिव के नोट में भी गिनती में गड़बड़ी का जिक्र है।
न्यायमूर्ति कौरव ने पक्षकारों द्वारा दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।