सागर. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार की एक प्रायोजित योजना है. इस योजना के तहत, फल, सब्ज़ियां, जड़-कंद वाली फ़सलें, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको, और बांस जैसी बागवानी फ़सलों को बढ़ावा दिया जाता है.
आज हम बात कर रहे है. इस योजना से लाभान्वित सागर जिले के श्री धमेन्द्र पटैल की. धमेन्द्र पटैल बताते है कि हमारे यहां वर्षाे से पारंम्परिक तौर पर सोयाबीन और गेहूं की खेती किया करते थे. जिससे हमारी रोजी-रोटी का ही गुजर-बसर हो पाता था. न तो भविष्य के लिए कोई पैसा जमा कर पाते थे न ही परिवार को सुख सुविधा दे पाते थे. मेहनत के बराबर मुनाफा भी नहीं होता था.
धमेन्द्र ने बताया कि एक दिन उद्यानिकी विभाग के लोग सर्वे के लिए हमारे खेत पर आये और उन्होंने हमसे फसल उगाने और खेती की जानकारी मांगी. उन्होंने कहा कि आप गेहूं की खेती करते है तो कितना मुनाफा होता है. तब मैने कहा कि करीब 15 हजार रू. की लागत लगती है और लागत सहित लगभग 25 हजार रू. की फसल निकलती है.
तब उद्यानिकी विभाग के लोगों ने मुझे स्ट्राबेरी खेती करने की सलाह दी और एकीकृत बागवानी विकास मिशन में मिलने वाले फायदों की जानकारी दी. तब मैंने सोचा इस बार फसल को बदल के देखते है. तब मैने मल्चिंग तथा ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल किया और अधिकारियों की देख-रेख में खाद का इस्तेमाल किया.
स्ट्रॉबेरी की पहली फसल आते ही मुझे लागत निकाल के 40 हजार रू. का मुनाफा हुआ. वे बताते है कि खरीदार उनके खेत से ही स्ट्रॉबेरी खरीदकर ले जाते हैं. धमेन्द्र कहते है कि राज्य सरकार से बागवानी की खेती के लिए सब्सिडी भी मिली है और कहते है कि अब मेहनत के मुकाबले उन्हें खेत से मुनाफा भी अधिक होने लगा है.