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Home ताज़ा समाचार

स्वच्छ भारत अभियान ने बदली बिहार के बिशनपुर वघनगरी गांव की तस्वीर, कूड़े से मिला ग्रामीणों को रोजगार

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September 30, 2024
in ताज़ा समाचार
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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

–आईएएनएस

एफएम/सीबीटी

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

–आईएएनएस

एफएम/सीबीटी

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

–आईएएनएस

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

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बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

–आईएएनएस

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मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर (आईएएनएस)। पीएम मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से देशभर में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ये अभियान दो अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दिन स्वच्छ भारत अभियान को भी 10 साल पूरे हो जाएंगे। इस अभियान ने ना केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति लाई है, बल्कि इसके शुरू होने से कई ग्रामीणों को भी रोजगार मिला है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बिशनपुर वघनगरी गांव स्वच्छता अभियान की बड़ी मिसाल है। यहां की मुखिया बबिता कुमारी की पहल से गांव तो स्वच्छ बना ही है, साथ ही कचरा प्रबंधन से 17 लोगों को रोजगार भी मिला है। बबिता कुमारी की इस पहल की वजह से उन्हें दो अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बिशनपुर वघनगरी पंचायत की मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब मुझे गांव के मुखिया के रूप में जिम्मेदारी मिली, तो उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी, मगर धीरे-धीरे स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया गया। इस अभियान में ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और स्वच्छता मित्र बनाकर कूड़ा उड़ाने का काम शुरू किया गया।

बबिता कुमारी ने कहा, “पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का सपना अब बिशनपुर वघनगरी में साकार होने लगा है। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। गांवों के जिन क्षेत्रों में स्वच्छता मित्र नहीं पहुंच पाते हैं, वहां सफाई के लिए पाइप कंपोस्टिंग शुरू किया गया। इसमें गीले कचरे को डालकर खाद बनाने का काम शुरू किया जाता है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार होता है। इसके अलावा मंदिर के पास भी एक पाइप लगाया गया है, उससे भी खाद बनाया जाता है।”

बिशनपुर वघनगरी गांव की रहने वाली जुबैदा खातून ने बताया कि स्वच्छता अभियान से उनके गांव में बड़ा बदलाव आया है। यह अभियान पांच साल से गांव में चल रहा है और घरों से कचरा इकट्ठा करने की भी व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की गई है।

स्वच्छता अभियान से रोजगार पाने वाली चंदा कुमारी ने कहा, “मैं स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करती हूं, पहले मेरे पास कोई काम नहीं था, लेकिन मुखिया ने मुझे काम दिलाने का काम किया है। हम अपने काम के साथ गांव को स्वच्छ रखने का भी प्रयास करते हैं।”

स्वच्छता मित्र चंद्रिका सहाय ने कहा, “मुझे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में ही रोजगार मिल पाया है। मेरा काम घर-घर जाकर कचरा जमा करना होता है, इससे बाद में खाद बनाई जाती है।”

प्रखंड सलाहकार स्वच्छता पर्यवेक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि मैं बिशनपुर वघनगरी गांव का ही रहने वाला हूं, जब देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था तो उस समय ही मैं इस अभियान से जुड़ गया था। यहां पर हम सबने मिलकर स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया है। इस अभियान के माध्यम से गांव के 17 लोगों को रोजगार मिल पाया है।

बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के बिशनपुर वघनगरी गांव में पहले गंदगी का अंबार लगा रहता था, लेकिन बीते कुछ समय में गांव ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। यहां कचरे से खाद बनाई जाती है।

–आईएएनएस

एफएम/सीबीटी

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