टोरंटो, 13 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक और हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया है। मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए और खालिस्तान समर्थक पोस्टर चिपकाए गए।
पोस्टर शनिवार तड़के सरे में लक्ष्मी नारायण मंदिर की सामने और पीछे की दीवारों पर चिपके हुए पाए गए। मंदिर अधिकारियों ने उन पोस्टरों को हटाया।
पोस्टर पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की भी तस्वीर लगी है। पोस्टर में लिखा गया कि ‘कनाडा 18 जून की हत्या की घटना में भारत की भूमिका की जांच कर रहा है।’
घटना का सीसीटीवी फुटेज, जिसे सोशल मीडिया पर शेयर किया गया, में दो नकाबपोश लोगों को मंदिर परिसर में पोस्टर चिपकाते और तस्वीरें लेते देखा गया।
नई दिल्ली में कड़ा विरोध दर्ज कराने के बावजूद, कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों का विरोधी नारे और पोस्टरों के साथ देश भर में भारतीय राजनयिकों और मंदिरों को निशाना बनाकर ‘भारत विरोधी अभियान’ जारी है।
अलगाववादी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख निज्जर की 18 जून की शाम गुरुद्वारा परिसर में ही दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद खालिस्तानी पोस्टर अभियान में तेजी देखी गई है।
1 अगस्त को, वैंकूवर में वाणिज्य दूतावास की बिल्डिंग के एंट्री गेट के पास “वांटेड” और “किल इंडिया” लिखा हुआ एक पोस्टर लगाया गया था।
इस साल अप्रैल में, विंडसर में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के परिसर को खालिस्तान समर्थक विरोधी नारों से स्प्रे-पेंट किया गया था।
इसी तरह, जनवरी में, ब्रैम्पटन में गौरी शंकर मंदिर को भारत विरोधी नारों के साथ निशाना बनाया गया था, कनाडा और भारत के नेताओं ने ओटावा सरकार से मामले को ‘गंभीरता से’ लेने के लिए कहा था।
जून में, देश के पंजाब-प्रभुत्व वाले ब्रैम्पटन में एक परेड में सिख बॉडीगार्ड्स द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाली एक झांकी प्रदर्शित की गई थी।
यह झांकी, 4 जून को ब्रैम्पटन में एक सिख परेड का हिस्सा थी, जिसमें एक पोस्टर के साथ खालिस्तान के झंडे को दर्शाया गया था, इस पर “बदला” लिखा था।
बता दें, कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने जकार्ता में आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर अपने कनाडाई समकक्ष मेलानी जोली के साथ भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था।
जयशंकर ने पहले कहा था कि कनाडा द्वारा अलगाववादी तत्वों को जगह देना संभवतः “वोटबैंक की राजनीति” से प्रेरित है।
–आईएएनएस
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