नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना, नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से ताकत और शक्ति अर्जित करने के प्रयासों में जुटी है। इसी के अंतर्गत नौसेना का ‘स्वावलंबन-2024’ सोमवार को दिल्ली में प्रारंभ हुआ।
यह ‘स्वावलंबन’ का तीसरा संस्करण है, इसके अंतर्गत नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप और एमएसएमई की भारत मंडपम में एक प्रदर्शनी आयोजित की गई है। नौसेना यहां ‘भविष्य के युद्ध और उभरती प्रौद्योगिकियों’ पर विमर्श के लिए रक्षा विशेषज्ञों का एक सत्र भी आयोजित कर रही है।
यहां वायु व सतह से निगरानी करने वाली प्रणाली प्रदर्शित की जा रही है। वहीं, क्वांटम प्रौद्योगिकियों से जुड़ी अत्याधुनिक प्रणालियां भी नौसेना द्वारा प्रदर्शित की जा रही हैं। सोमवार को इस प्रदर्शनी का उद्घाटन नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने किया।
स्वावलंबन-2024 का विषय “नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से ताकत और शक्ति” है। नेवल इनोवेशन एंड इंडिजिनाइजेशन ऑर्गेनाइजेशन का यह वार्षिक कार्यक्रम 29 अक्टूबर को भी जारी रहेगा।
इस दौरान भारत मंडपम में जनता के लिए खास प्रदर्शनी खुली है। यहां भारतीय रक्षा स्टार्टअप और एमएसएमई द्वारा डिजाइन और विकसित की गई विशिष्ट नवीन तकनीकों, अवधारणाओं और उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।
यहां एक खास इंटरैक्टिव आउटरीच सत्र आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र से जुड़े ‘फंड चाहने वालों’ (स्टार्टअप) व ‘फंड प्रदाता’ यानी उद्यम पूंजीपतियों को साथ लाना था। प्रदर्शनी में तीनों सशस्त्र बलों और सीएपीएफ के सदस्यों व शिक्षाविद् शिरकत कर रहे हैं।
‘स्वावलंबन’ के लिए हैकथॉन चुनौती भी रखी गई है, यह एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता है। इसका मकसद नौसेना के समक्ष आने वाली मौजूदा समस्याओं का तकनीकी समाधान प्रदान करना है। ‘स्वावलंबन 2024’ के दौरान 29 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।
29 अक्टूबर को ही ‘भविष्य के युद्ध और उभरती प्रौद्योगिकियों’ पर रक्षा विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण सेमिनार सत्र होगा। ‘बूस्टिंग इनोवेशन इकोसिस्टम’ पर भी सेमिनार सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वीजी खंडारे करेंगे।
नौसेना के मुताबिक यह कार्यक्रम सशस्त्र बलों, नवाचार भागीदारों और भारतीय उद्योग के प्रमुख नवाचार और स्वदेशीकरण प्रयासों को प्रदर्शित कर रहा है। इस वर्ष के कार्यक्रम की अवधारणा पिछले कार्यक्रमों की तुलना में अधिक बड़ी और अधिक प्रभावशाली है। यह कार्यक्रम तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को काफी मजबूती मिलेगी।
–आईएएनएस
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