नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)। सामान्य रूप से चलने-फिरने में असक्षम लोगों के आत्मसम्मान और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए स्वयं संगठन ने नेशनल हैंडीकैप्ड फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉपोर्रेशन के साथ सुगम्य पारिवारिक शौचालय के लिए एक विशेष साझेदारी की है।
इस साझेदारी की घोषणा को लेकर एक विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन सोमवार को दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर में किया गया। गौरतलब है कि इस मौके पर सामान्य रूप से चलने-फिरने में असक्षम लोगों की चुनौतियों को लेकर अभिगम्यता जागरुकता फैलाने के लिए जागरुकता सप्ताह को भी आयोजित किया।
देश के प्रथम सर्वसमावेशी संगठन स्वयं ने नई दिल्ली के कनॉट प्लेस, लाल किला, दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर जैसे इलाकों में 28 मार्च से लेकर 03 अप्रैल तक नुक्कड़ नाटकों के आयोजन करने का भी फैसला किया है। दिल्ली के विभिन्न इलाकों के साथ ही गुरुग्राम में भी ऐसे नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जाएगा।
वहीं समाज कल्याण मंत्रालय के सचिव, राजेश अग्रवाल ने कहा कि अनुसार सरकार कम गतिशीलता वाले लोगों सहित समाज के सभी वर्गों के लिए सकारात्मक प्रभाव और सामाजिक न्याय लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने कहा कि एनडीए की सरकार समाज के सभी तबकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिशों में जुटी हुई है, जिनमें सीमित रूप से चलने-फिरने वाले लोगों का भी शुमार है। कम गतिशीलता वाले लोगों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए इस तरह की मजबूत और निस्वार्थ पहल, स्वयं फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों पर हमें गर्व है। हम निश्चित हैं कि सरकार और एनजीओ के एक साथ आने से सुलभता के मुद्दों को हल करने की दिशा में अधिक से अधिक जागरूकता और रचनात्मक कदम सुनिश्चित होंगे।
जानकारी के अनुसार एक सामाजिक संगठन के तौर पर स्वयं दो दशक से भी ज्यादा समय से सामान्य रूप से चलने-फिरने में असक्षम लोगों के मान-सम्मान और सर्वसमावेशी वातावरण के निर्माण पर जोर देता रहा है। सुगम्य पारिवारिक शौचालय के माध्यम से स्वयं ने पिछले चार सालों में भारत के 28 राज्यों में से 13 राज्यों, 8 केंद्र शासित राज्यों और देशभर के 766 जिलों में से 102 जिलों में सुगम्य पारिवारिक शौचालयों के बारे में जागरुकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई है।
सुगम्य पारिवारिक शौचालयों के बुनियादी विशेषताओं में समतल सतह, बिना फिसलन वाली फ्लोरिंग टाइल,जरूरत के हिसाब से दरवाजे का चौड़ा होना, ग्रैब बार्स का होना, आपातकाल की स्थिति में बजने वाली घंटी और पश्चिमी शैली की सीटिंग का होना आवश्यक होता है। आसानी से पहुंचने और उतरने के लिए रैम्प और रेलिंग भी जरूरी होते हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वयं के सर्वे से पता चलता है कि देश के ग्रामीण इलाकों में भी लोग बेहतर जीवनशैली जीने में यकीन करते हैं और सभी तरह की सुविधाओं के इच्छुक होते हैं।
–आईएएनएस
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