जबलपुर. गणतंत्र दिवस का अवकाश हो या फिर सामान्य तौर पर होने वाला रविवार का अवकाश शहर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भले ही अन्य दिनो में बेहतर हो लेकिन अचानक अवकाश पर पूरी तरह से बेपटरी हो जाती हैं. आलम ये हो जाता हैं कि यदि कोई अनहोनी हो जाए तो शासकीय अस्पतालों के बजाए मरीजों के परिजनों को निजी अस्पतालों की शरण लेने की सलाह दे दी जाती हैं.
चिकित्सीय सूत्रों की मानें तो शहर में नए एचएमपीवी की तैयारियों की बात करें तो किसी शासकीय अस्पताल में संचालनालय से आए आदेश के बावजूद अब तक गंभीरता नहीं बरती जा रही हैं आलम ये हैं कि अब भी अस्पताल पहुंच रहे डेंगू के मरीजों का समुचित उपचार तो दूर की बात हैं शहर के प्रमुख शासकीय अस्पतालों के हालात ये हैं कि रोजमर्रा के मरीज भी संभाले नहीं संभल रहे हैं.
मिर्जापुर का तस्कर गिरफ्तार, छह किलो गांजा जब्त
महिलाओं के एल्गिन हॉस्पिटल के साथ विक्टोरिया जिला अस्पताल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं सुपरस्पेशिलिटी में भी यही हालात हैं. रानी दुर्गावती महिला चिकित्सालय (लेडी एल्गिन) जैसे अस्पताल में जहां शनिवार को चिकित्सक न होने की वजह से कई मरीजों को बगैर उपचार के ही वापस लौटना पड़ा वहीं कुछ प्रकरणों को मेडिकल रैफर किया गया.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के हालात ये रहे कि दूरदराज से आए मरीजों को भी मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ा. जिन्हें उपचार मिला भी वे भी स्ट्रेचर, व्हीलचेयर को लेकर परेशान रहे.
विक्टोरिया में शनिवार से रहा छुट्टी का माहौल
सेठ गोविंददास (विक्टोरिया) जिला अस्पताल में शनिवार से ही अवकाश जैसा माहौल देखने को मिला. सूत्रों के मुताबिक कुछ मरीजों को जहां यहां उपचार लाभ मिल पाया वहीं अधिकांश मरीजां को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल रैफर किए गए. ठीक यही स्थित रानी दुर्गावती (लेडी एल्गिन) महिला चिकित्सालय की रही.
शनिवार को विगत पूरे सप्ताह से ज्यादा भीड़ एकत्रित थी चिकित्सकों के नाम पर गिनती के चिकित्सक होने की वजह से यहां प्रसूताओं के साथ अन्य महिलाओं को उपचार के नाम पर मेडिकल रैफर करने या फिर सोमवार को आने की बात कहीं जाती रही.
लंबी कतारों में पहले पर्ची बनवाने, फिर कतारों में लग कर बीपी और वजन नपवाने के बाद ओपीडी में लंबी कतार से जूझने के बाद जब मरीज चिकित्सक से मिलीं तो उन्हें उपचार के बजाए या तो मेडिकल रैफर करने की बात कही गई या फिर सोमवार को आने की, जिसे सुनने के बाद इतनी कवायद करने वाली महिला मरीज स्वयं को ठगा सा महसूस करती रहीं.