नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में हंगामा करने की वजह से 18 दिसंबर 2023 को निलबिंत किए गए तीनों विपक्षी सांसदों, अब्दुल खालिक, विजय कुमार वसंत और के. जयकुमार ने शुक्रवार को सदन की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होकर अपनी सफाई दी।
सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष हैं और इसमें सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सांसद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
–आईएएनएस
एसटीपी/एबीएम/
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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में हंगामा करने की वजह से 18 दिसंबर 2023 को निलबिंत किए गए तीनों विपक्षी सांसदों, अब्दुल खालिक, विजय कुमार वसंत और के. जयकुमार ने शुक्रवार को सदन की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होकर अपनी सफाई दी।
सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष हैं और इसमें सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सांसद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष हैं और इसमें सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सांसद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
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जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
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जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष हैं और इसमें सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सांसद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में हंगामा करने की वजह से 18 दिसंबर 2023 को निलबिंत किए गए तीनों विपक्षी सांसदों, अब्दुल खालिक, विजय कुमार वसंत और के. जयकुमार ने शुक्रवार को सदन की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होकर अपनी सफाई दी।
सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों सांसदों ने विशेषाधिकार समिति के सामने सदन में किए गए अपने व्यवहार पर खेद जताते और माफी मांगते हुए कहा कि उनका सदन के नियमों को तोड़ने का कोई इरादा नहीं था और उन्हें मजबूरी में लोकसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जाना पड़ा। हालांकि, इसके साथ ही इन सांसदों ने यह भी कहा कि इन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, सदन की विशेषाधिकार समिति इन तीनों सांसदों के निलंबन को रद्द करने की सिफारिश लोकसभा स्पीकर से कर सकती है, हालांकि, अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले समिति एक और बैठक भी कर सकती है, जिसके 29 या 30 जनवरी को होने की संभावना है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था, उनमें से इन्हीं तीन सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था और इन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए सदन से निलंबित किया गया था।
जबकि, अन्य सांसदों को शीतकालीन सत्र की बची अवधि तक के लिए ही निलंबित किया गया था।
भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष हैं और इसमें सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सांसद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।