जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्टेशन काउसिंल के अध्यक्ष तथा रजिस्टारी को पद से हटाने के आदेश जारी किये गये थे. याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से आदेश पर पुनर्विचार करने आवेदन पेश किया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अवमानना कार्यवाही का आवेदन पेश किया गया.
हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस ए के पालीवाल की युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों को नहीं हटाये जाने पर नाराजगी व्यक्त की. जिसके बाद सरकार ने आवेदन वापस लेते हुए 24 घंटो में दोनों अधिकारियों को पद मुक्त करने का आश्वासन दिया.
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्श विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश किये गये आवेदन में कहा गया था कि नर्सिंग घोटाले की अनियमितता में लिप्त एक इंस्पेक्टर को काउंसिल का रजिस्ट्रार बनाया गया था. इसके अलावा तत्कालीन निदेशक को अध्यक्ष बना दिया है. दोनों अधिकारी महत्वपूर्ण पद में रहते हुए साक्श्यों के साथ छेडछाड कर सकते है. जिसके कारण उन्हें महत्वपूर्ण पदों से हटाया जाना चाहिये.
युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया था कि काउंसलिंग की वर्तमान रजिस्ट्रार अनीता चंद्र ने इंस्पेक्टर रहते हुए भोपाल स्थित एक नर्सिंग कॉलेज की निरीक्शण रिपोर्ट पेश की थी. निरीक्शण रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज को मान्यता दी गयी थी. जांच में उक्त कॉलेज आयोग्य पाया गया और उसकी मान्यता निरस्त की गयी. इसी प्रकार वर्तमान अध्यक्श जितेश चंद्र शुक्ला उस समय काउंसलिंग के निर्देशक थे. सीबीआई जांच में यह बात सामने आई है कि मापदंड के अनुसार कॉलेज को मान्यता प्रदान नहीं की गयी है.
सीबीआई जांच जारी है और न्यायालय मामले की निगरानी कर रहा है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि विभिन्न अनियमितताओं को देखते हुए ऐसे अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर रहने की अनुमति प्रदान नहीं कर सकते जो मान्यता देने की पिछली प्रक्रिया में शामिल थे. युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों को तत्काल हटाने के आदेश जारी किये है.
इसके अलावा साल 2022 में उत्तीर्ण छात्रों की तरफ से आवेदन पेश करते हुए कहा था कि अनुबंध शर्तों के अनुसार उन्हें पांच सालों तक शासकीय अस्पताल में सेवा प्रदान करना है परंतु अभी तक उन्हें नियुक्ति प्रदान नहीं की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि रजिस्ट्रार काउंसलिंग कार्यालय के चार बक्से कागजात लेकर गयी है.
इसके अलावा आदेश के खिलाफ उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की है. सरकार इसका इंतजार कर रही है कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से किसी प्रकार की राहत मिल जाये. आदेश के बावजूद भी दोनों अधिकारियों को पद से नहीं हटाये जाने पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त की. जिसके बाद सरकार ने अपना आवेदन वापस लेते हुए 24 घंटो में उन्हें पद से हटाने का आश्वासन दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.