नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
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दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर इशारों ही इशारों में हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई होती, तो नतीजे कुछ विपरीत हो सकते थे।
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मिली शिकस्त के बाद अब इसके साइड इफेक्ट भी दिखाने लगे हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।
उन्होंने कहीं ना कहीं इस बात की तरफ संकेत दिए हैं कि दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा के जो नतीजे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा नजर आती है। नतीजे यह दिखाते हैं कि अगर राज्य में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा होता, तो नतीजे विपरीत भी हो सकते थे। हाल ही में दो राज्य जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। वहां गठबंधन जीता और भाजपा की हार हुई। लेकिन, हरियाणा में गठबंधन एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ पाया, कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि एकजुटता नहीं बन पाई और वहां नतीजे हमारे हक में नहीं आए। भाजपा के पक्ष में आ गए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि काफी सीख हमें इन चुनावों से लेनी चाहिए। पहली सीख यह है कि हमें अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए, हम ओवर कॉन्फिडेंस में कहीं मारे ना जाएं, चुनावी राजनीति में विश्वास होना बहुत अच्छी बात है, सेल्फ कॉन्फिडेंस होना और भी अच्छी बात है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस होना बहुत बुरी बात है। हरियाणा में 60 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ पड़ा। यह वोट बदलाव और नई सरकार के लिए पड़ा। 40 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट भाजपा के पक्ष में पड़ा है। फिर भी इसे आंकड़ों की जादूगरी कहें या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहिए। इसमें भाजपा बाजी मार गई, इसलिए हरियाणा में एकजुटता की आवश्यकता है।
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आप के साथ गठबंधन के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि देश में दो कैटेगरी के चुनाव होते हैं, पहली कैटेगरी है, जिसमें रीजनल पार्टियां हैं, वो भाजपा को हराने में सक्षम हैं और हराती भी आई हैं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या दिल्ली में आम आदमी पार्टी है। इस कैटेगरी के चुनावों में कांग्रेस या अन्य दलों की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूसरी कैटेगरी उन राज्यों की है, जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है, लेकिन कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा को हराने में सक्षम नहीं रह पाती है। उन्हें एलायंस बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का चुनाव पहली कैटेगरी में आता है, जहां हम खुद भाजपा को हराने में सक्षम हैं और लगातार विधानसभा चुनाव में हारते भी आए हैं। चाहे 2013, 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हो। यहां तक कि 2015 और 2020 में आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े जनादेश की सरकार आम आदमी पार्टी ने बनाई। मेरा मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है, यह हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस है, ओवर कॉन्फिडेंस नहीं है।