गाजीपुर, 1 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत सोमवार को गाजीपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद पर लिखी पुस्तक ‘मेरे पापा परमवीर’ का विमोचन किया।
उन्होंने कहा कि हमें एक होकर शहीदों के स्मरण एवं अनुसरण करने की आवश्यकता है। मोहन भागवत ने शहीद स्मारक के गेट पर लिखी पंक्तियों ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले’, का व्याख्यान करते हुए कहा कि वास्तव में शहीद अमर हो जाते हैं, वह बलिदान देते हैं और अमर होते हैं। शहीद का बलिदान महान होता है। उन्होंने स्वयं के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा में अपना बलिदान दिया और अमर हो गए। उनके जीवन पर आधारित पुस्तक देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता का संचार करेगी।
उन्होंने कहा कि शहीदों को भगवान भी अपने स्मरण में रखते हैं। लेकिन हम लोगों को उनको याद करने की आवश्यकता है। आज पूरी दुनिया को भारत देश की आवश्यकता है इसलिए हमें एक होकर शहीदों का स्मरण एवं अनुसरण करते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है।
मोहन भागवत ने आगे कहा कि इंसान और जानवर में यही फर्क होता है। जानवर सिर्फ अपनी चिंता करता है। वो चारा खाता है तो जो बचता है फिर उसकी चिंता नहीं करता। लेकिन, मनुष्य का स्वभाव है कि वो अपनों के साथ-साथ दूसरों की भी चिंता करता है। अगर मनुष्य कुछ खा रहा है और उसके सामने कोई भूखा आ जाए तो पहले वो उसे खिलाने लगाता है। उसके बाद बचा हुआ खाना खुद खाता है। यही स्वभाव उसे पशु से अलग करता है।
शहीद वीर अब्दुल हमीद भारतीय सेना में नौकरी के दौरान 10 सितंबर 1965 को भारत-पाक युद्ध में खेमकरन सेक्टर के अग्रिम मोर्चे पर तैनात थे। यहां उन्होंने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए आरसी गन के जरिए पाक सेना के कई टैंकों को ध्वस्त किया। इस लड़ाई में वो शहीद हो गए। इसके बाद मरणोपरांत उनको परमवीर चक्र से नवाजा गया।
–आईएएनएस
विकेटी/एबीएम