अहमदाबाद, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। विजयादशमी पर शस्त्र पूजा और अहिंसा के सवाल का जवाब देते हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवि कुमार त्रिपाठी ने कहा कि यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। अहिंसा की बात शेर के मुंह से अच्छी लगती है। अगर कोई भेड़ अहिंसा की बात करता है तो उसका कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि शस्त्र पूजन हमारी जिंदगी का एक हिस्सा होना चाहिए और जो नीति पर हम इस समय चल रहे हैं, हम किसी को सामने से छेड़ते नहीं हैं, लेकिन अगर कोई छेड़ता है तो फिर हम उसे छोड़ते नहीं हैं। जहां तक स्वेदशी की बात है, यह बहुत पुराना कॉन्सेप्ट है। हम बीच में इसको भूल चुके थे, क्योंकि हमें दूसरे रास्ते पर ले जाया गया। स्वदेशी हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। संघ का पंच परिवर्तन का सिद्धांत बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हमारा समाज जिस दिशा में जा रहा है, वो ठीक नहीं है। आज हमारे बच्चे बाजरे की रोटी की बजाए पिज्जा मांगते हैं। ऐसा इसलिए है कि हमने अपने बच्चों को सही से ट्रेनिंग नहीं दी है। वहीं, संघ को 100 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में संघ का मुख्य उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना है, और समाज में तभी परिवर्तन हो सकता है, जब मनुष्य के मानस में परिवर्तन आए और आचरण में परिवर्तन आए।
उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन के तहत हम घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करेंगे और उनसे सामाजिक समरसता की बात करेंगे।
गुजरात प्रांत सह प्रांत कार्यवाह सुनील बोरीसा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1925 में नागपुर से शुरू हुआ। इसकी शाखा पहले नागपुर में थी। इसके बाद पूरे भारत में संघ की शाखाएं फैलीं। आज हम देख रहे हैं कि तहसील स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं हैं। संघ के 100 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। आज शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में हर नगर तहसील में शताब्दी वर्ष उत्सव प्रारंभ हो रहा है।
–आईएएनएस
मोहित/एबीएम