गुरुग्राम, 27 अगस्त (आईएएनएस)। हरियाणा का अल्पसंख्यक बहुल नूंह, जो राज्य का सबसे पिछड़ा जिला है, तेजी से संगठित साइबर अपराध गतिविधियों के केंद्र के रूप में कुख्यात हो रहा है। खासकर फ़िशिंग घोटालों के रूप में, जो देश और दुनियाभर के लोगों को निशाना बनाते हैं।
नूंह के “जामताड़ा मॉड्यूल” धोखाधड़ी में आमतौर पर घोटालेबाजों का एक समूह शामिल होता है, जो खुद को वैध कंपनियों के प्रतिनिधि के रूप में पेश करते हैं।
साइबर अपराधी, जो 18-35 वर्ष की आयु वर्ग में हैं, आम तौर पर 3-4 व्यक्तियों के समूह के रूप में काम करते हैं।
एक गांव में कुछ मुट्ठीभर लोग 5 से 50 फीसदी तक कमीशन शुल्क लेकर फर्जी बैंक खाते स्थापित करने, फर्जी सिम कार्ड, मोबाइल फोन, नकद निकासी/वितरण और सोशल मीडिया वेबसाइटों पर विज्ञापन पोस्ट करने जैसी तकनीकी सेवाएं प्राप्त करने में मदद करते हैं।
पुलिस के अनुसार, फर्जी सिम और बैंक खातों का स्रोत मुख्य रूप से पड़ोसी राज्य राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़ा है।
पुलिस के मुताबिक, जिले के ज्यादातर युवा चोरी के हाई-एंड फोन का इस्तेमाल कर साइबर क्राइम में शामिल हो रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर हैकर्स केवल 12वीं कक्षा तक ही पढ़े हैं, जबकि कुछ तो अनपढ़ भी हैं।
कुछ के सिर पर इनाम भी है।
पुलिस के अनुसार, अनपढ़ युवा, जो वाहन चोरी, फोन स्नैचिंग, मवेशी तस्करी और अन्य अपराधों में शामिल थे, ऐसी गतिविधियों में “प्रशिक्षित” होने के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान साइबर अपराध में स्थानांतरित हो गए।
पुलिस जांच में यह भी पता चला कि नूंह में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अधिकांश युवाओं को राजस्थान के भरतपुर के जुरेहेड़ा और गामड़ी गांवों में प्रशिक्षित किया गया था।
हरियाणा-राजस्थान सीमा पर स्थित ये दो गांव “साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र” के रूप में उभरे हैं।
पुलिस ने कहा कि आरोपी ने खुलासा किया कि प्रशिक्षण में यह शामिल था कि संचार कौशल वाले किसी व्यक्ति को कैसे फंसाया जाए और किसी व्यक्ति को साइबर धोखाधड़ी का शिकार बनाते समय या उनके बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करते समय क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए।
ये दोनों गांव फर्जी सिम कार्ड और दस्तावेज पेश करते हैं जो बैंक खाते खोलने में मदद करते हैं। सबसे ज्यादा खाते उत्तर प्रदेश और राजस्थान में खोले गए।
पुलिस ने खुलासा किया कि आरोपी ज्यादातर नौकरी चाहने वालों, वरिष्ठ नागरिकों और छात्रों को निशाना बनाते थे। वे ओएलएक्स पर आकर्षक ऑफर भी देते हैं।
उन्होंने कहा कि आरोपी आमतौर पर राजस्थान और हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में अपराध करते हैं, क्योंकि अपराधियों के मोबाइल लोकेशन को ट्रैक करना मुश्किल होता है। एक घोटालेबाज लक्ष्य चुनने से पहले पीड़ित की उम्र, बैंक बैलेंस, स्थान, रोजगार इतिहास जानने के लिए बहुत सारे शोध करता है।डेटा आमतौर पर कंपनियों से शुल्क लेकर ऑनलाइन खरीदा जाता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बैंक कर्मचारी अक्सर 50,000 रुपये से अधिक के स्थिर शेष वाले वरिष्ठ नागरिकों के खातों का पता लगाने में उनकी मदद करते हैं।
नूंह पुलिस ने खुलासा किया कि जिले में 14 गांवों को साइबर अपराध का हॉटस्पॉट माना जाता है – खेड़ला, लुहिंगा खुर्द, लुहिंगा कलां, गोकलपुर, गोधोला, अमीनाबाद, महू, गुलालता, जैमत, जखोपुर, नाई, तिरवारा, मामलिका और पापड़ा।
पुलिस के मुताबिक, ये अपराधी देशभर में फर्जी सिम, आधार कार्ड आदि से लोगों को ठगते थे और गिरफ्तारी से बचने के लिए फर्जी बैंक खातों में पैसे जमा कराते थे। ये धोखेबाज फेसबुक बाज़ार/ओएलएक्स पर भ्रामक विज्ञापन पोस्ट करके पीड़ितों को बाइक, कार, मोबाइल फोन आदि उत्पादों पर बिक्री के आकर्षक ऑफर का लालच देते हैं।
साइबर अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर्षक प्रोफाइल बनाकर और पीड़ितों को वीडियो चैट पर आने का लालच देकर सेक्सटॉर्शन के माध्यम से पीड़ितों को धोखा दे रहे थे, जहां वे समझौता करने वाली स्थिति में पीड़ितों की स्क्रीन रिकॉर्डिंग करते हैं और फिर उनसे भारी रकम वसूलते हैं। उन्होंने देशभर के लोगों को धोखा दिया, लेकिन मुख्य रूप से हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अंडमान और निकोबार के लोगों को।
अपराध की आय आमतौर पर घर के निर्माण, बाइक, सैलून यात्राओं और उनके दिन-प्रतिदिन के खर्चों पर धोखाधड़ी की गई राशि खर्च की जाती थी।
पिछले कुछ सालों में देश के हर राज्य की पुलिस साइबर अपराधियों की तलाश और साइबर क्राइम के मामलों की जांच के लिए नूंह पहुंची है। हाल ही में नूंह में हरियाणा पुलिस की छापेमारी से पता चला है कि साइबर अपराधियों ने अब तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 28,000 लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है।
इन साइबर जालसाजों के खिलाफ देशभर में 1,346 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
नूंह में साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए दो साल पहले साइबर पुलिस स्टेशन की स्थापना की गई थी। तब से लेकर अब तक हजारों से ज्यादा साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद यहां साइबर धोखाधड़ी खत्म नहीं हुई है।
इसका मुख्य कारण यह है कि जमानत पर छूटने के बाद अपराधी फिर से अपना गोरखधंधा शुरू कर देते हैं।
पुलिस का यह भी कहना है कि नूंह में हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़पों में यह बात सामने आई है कि हिंसक उपद्रवियों ने नूंह साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को निशाना बनाया था, ताकि क्षेत्र में सामने आए साइबर क्राइम और गिरोह के रिकॉर्ड को नष्ट किया जा सके।
नूंह में साइबर पुलिस स्टेशन दो साल पहले स्थापित किया गया था।
–आईएएनएस
एसजीके