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Home ताज़ा समाचार

हरियाणा : नूंह जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवा घोटाले की विजिलेंस जांच शुरू

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December 8, 2024
in ताज़ा समाचार
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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

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विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

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विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

–आईएएनएस

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

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नूंह, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए दवा बजट घोटाले की जांच अब विजिलेंस ने शुरू कर दी है।

विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर जांच शुरू करने की जानकारी दी गई है। कई महीने पहले यह मामला सामने आया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।

विजिलेंस द्वारा जांच शुरू किए जाने से विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए गठित कमेटियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई महीने से लीपापोती का खेल चल रहा है। मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कराने के लिए लोगों ने यह मामला विजिलेंस तक पहुंचाया है।

शिकायतकर्ता चरण सिंह ने बताया कि सीएचसी पिनगवां में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की राशि आई थी जिसे अधिकारियों से साठगांठ कर कम राशि की दवा खरीद कर बाकी बजट को सीएचसी में मुख्य द्वार जैसे छोटे- मोटे काम दिखाकर हड़प लिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब लोगों को दवाइयां मिलना बंद होने लगी तो मामले से पर्दा उठा। पता चला कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के नाम से करीब 70 लाख रुपये का बजट दवाइयों के लिए आया है। क्षेत्र के लोगों को जब इस बारे में जानकारी लगी तो कई लोगों ने इसको लेकर विभाग और सीएम विंडों पर शिकायत दी, लेकिन आज तक किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विभाग द्वारा मामले की जांच के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई भी कमेटी अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है।

लोगों का कहना है कि जब वह विभाग के उच्च अधिकारियों से कार्रवाई के लिए बोलते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि जांच कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि दवाइयों के बजट में हेराफेरी के मामले पर विभाग के अधिकारी पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। विभाग द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इधर-उधर से मुझे धमकी भरे फोन भी कराए गए हैं।

विभाग द्वारा मामले में लीपापोती होती देख विजिलेंस को शिकायत की गई है। हम चाहते हैं कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। इस मामले को लेकर डॉ. सर्वजीत थापर, सिविल सर्जन मांड़ीखेड़ा का कहना है की कमेटियों द्वारा जांच की जा रही है। एक या दो दिन में जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

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